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SBI का लिक्‍विडिटी दर 143 फीसदी, मतलब- लोन लेने वाले नहीं है या फिर बैंक देना ही नहीं चाहता?

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नई दिल्‍ली। कोरोना संकट के बीच बैंक लोन को लेकर एक चौंकाने वाली खबर आई है। देश के सबसे बड़े बैंक स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया का लिक्‍विडिटी दर 143 फीसदी है। इसका मतलब है कि या तो बैंक जोखिम नहीं लेना चाहती या फिर मार्केट में लोन लेने वाली कमी है। अधिक लिक्‍विडिटी होने के चलते संभव है कि एसबीआई सरकारी प्रोजेक्‍ट्स में निवेश कर रहा है। मार्च 2020 के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार बैंकों का काम तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) 100 फीसदी होना चाहिए।

SBI का लिक्‍विडिटी दर 143 फीसदी, मतलब- लोन लेने वाले नहीं है या फिर बैंक देना ही नहीं चाहता?

हालांकि कोरोना संकट के चलते बैंक अधिक लोन दे सकें इसलिए आरबीआई ने एलसीआर को 80 फीसदी तक कम कर दिया। मगर मार्च समाप्ति पर एसबीआई का ये अनुपात 143 फीसदी है। एलसीआर की गणना शॉर्ट टर्म लिक्विड एसेट को अगले 30 दिनों में कुल अपेक्षित कैश आउटफ्लो से भाग करके की जाती है। आपको बता दें कि अधिकांश बैंक ऐतिहासिक रूप से जरूरी न्यूनतम से 15-20 प्रतिशत अधिक एलसीआर रखते हैं।

अगर इससे अधिक एलसीआर है तो इसका मतलब है कि या तो बैंक के पास कैश अधिक है या फिर उनसे सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया हुआ है। हालांकि जिस समय यस बैंक संकट में था तब प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को अधिक एलसीआर बना कर रखना पड़ रहा था ताकि अगर अचानक लोग किसी वजह से पैसा निकालने लगें तो उनके पास लिक्विडिटी हो। उस समय कुछ प्राइवेट बैंक 130 प्रतिशत से अधिक का एलसीआर रख रहे थे।

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उच्च एलसीआर किसी बैंक के जोखिम से बचने को भी दर्शाता है। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने हाल ही में सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा था कि कर्ज लेने वाले भी जोखिम से बच रहे हैं। उन्होंने कहा 'मेरे पास पैसा है, लेकिन कोई लेने वाला नहीं है'। बैंक सतर्क हैं और कॉर्पोरेट सेक्टर भी विस्तार मोड में नहीं है क्योंकि उनकी अपनी क्षमता का उपयोग अभी भी कम है। जाहिर है एसबीआई और कई अन्य बैंकों के लिए एलसीआर उच्च ही रहेगा, क्योंकि बाजार में कर्ज देने के अवसर कम हैं। अर्थव्यवस्था को पहले ही तीन महीनों का नुकसान हुआ है और स्थिति सामान्य होने में कम से कम छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है।

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English summary
SBI's liquidity ratio at 143%: Either nobody wants money or bank doesn't want to lend.
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