अक्टूबर में खुदरा महंगाई की दर 7.61 फीसदी पर पहुंची, पिछले 6 सालों का सबसे उच्चतम स्तर
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट के बीच भारत की खुदरा मुद्रास्फीति की वृद्धि दर पिछले 6 वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापा जाने वाला खुदरा मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर के महीने में 7.61 प्रतिशत पर पहुंच गई, पिछले महीने यानी सितंबर में यह 7.27 फीसदी रही थी। बता दें कि मंगलवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के मुताबिक देश के कारखाना उत्पादन में भी मामूली बढ़त दर्ज की गई है। इस क्षेत्र में सितंबर के महीने में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
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मिली जानकारी के मुताबिक अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति 7 फीसदी से अधिक रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 7.61 प्रतिशत पर थी, जिसके पीछे एक बड़ा कारण आपूर्ति में आने वाली दिक्कते हैं। पिछले महीने खाद्य महंगाई दर 11 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंच गई। सब्जियों और दालों की कीमतों में बढ़ोती के चलते खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 6 वर्षों में सबसे अधिक ऊंचाई पर पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक मई 2014 के बाद से खुदरा महंगाई की दर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई है।
खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का ऊपरी मार्जिन 6 प्रतिशत से अधिक हो गया है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के दायरे में रखने का आदेश दिया है। केंद्रीय बैंक मुख्य रूप से अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का निर्णय लेते हुए खुदरा मुद्रास्फीति में कारक है। पिछले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में आरबीआई ने अपनी प्रमुख ब्याज दरों को बिना बदले जारी रखा था। इस क्रम में महामारी के बीच आर्थिक मोर्टे पर विकास के सहयोग के लिए अपनी मौद्रिक नीति को बनाए रखने का निर्णय लिया था।
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