अनिल कुमार अमरोही की कलम सेः महंगाई आपके दिवाली बजट पर क्या डालेगी असर
बेंगलूरू।
महंगाई
आंकड़ों
मेें
भले
ही
घटती
हुई
दिखाई
दे
रही
है
लेकिन
बाजार
में
इसका
कोई
फर्क
नहीं
है।
दरअसल,
गत
वर्ष
से
महंगाई
की
दर
ऊपर-नीचे
हो
रही
है।
कभी
महंगाई
दर
कम
होती
दिखाई
देती
है
तो
कभी
महंगाई
आंकड़ा
ज्यादा
बताया
जाता
है।
इसके
कम
होने
का
फर्क
नहीं
पड़ता
लेकिन
इसकी
दर
में
थोड़ी
सी
भी
बढ़ोतरी
बाजार
में
महंगाई
में
और
भी
बढ़ोतरी
कर
देती
है।
दरअसल, यह इसलिए होता है क्योंकि बाजार में बैठे मुनाफा बनाने वाले इस पर कड़ी नजर गढ़ाए होते हैं। थोड़ी सी भी खबर अगर महंगाई की आशंका की देखी तो इसके लिए कई बार जानबूझकर आपूर्ति कम दिखाई जाती है। यही खुदरा और थोक बाजार के बीच एक बड़ा अंतराल है जहां तक पहुंचने के लिए अभी तक कोई हल नहीं खोजा गया है।
जानकारी है कि महंगाई दर में अगस्त में गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त में महंगाई घटकर 7.8 फीसद रही जबकि इससे पहले जुलाई में महंगाई दर 7.96 फीसद थी। दूसरी ओर औद्योगिक विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है। औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर जुलाई 2014 में मामूली 0.5 फीसद रही। जबकि पिछले आंकड़े बता रहे हैं कि अप्रेल-जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.3 फीसदी के आसपास रही।
क्या असर होगा औद्योगिक विकास में गिरावट से
औद्योगिक विकास दर में गिरावट से एक बड़ा असर यह होगा कि बाजार में माल की आपूर्ति कम हो जाएगी। आपूर्ति कम होगी तो मुनाफा कम होगा। मुनाफा कम होगा तो लागत ज्यादा होगी। इतनी ज्यादा कि इससे कर्मचारियों पर दबाव ज्यादा बढ़ेगा। कर्मचारियों पर दबाव होगा तो कार्यक्षमता घटेगी। कार्यक्षमता घटेगी तो औद्योग को और भी ज्यादा घाटा होगा। जब घाटा बढ़ जाएगा तो कम्पनी या कहें औद्योग में ताला लग जाएगा।