
लोन रिकवरी एजेंट्स के खिलाफ सख्त हुआ RBI, कहा- अभद्र भाषा और बेवक्त कॉल करना स्वीकार नहीं
नई दिल्ली, 17 जून। जिस तरह से प्राइवेट बैंक, ऑनलाइन डिजिटल लेंडर लोगों को लोन मुहैया कराते हैं और लोन की रिकवरी के लिए गलत तरीके अपनाते हैं उसके खिलाफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सख्त रुख अख्तियार किया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लोन रिकवरी एजेंट जिस तरह के गलत तरीके अपना रहे हैं उसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ये एजेंट गलत समय पर फोन करते हैं, गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जोकि कतई स्वीकारयोग्य नहीं है।

गाइडलाइन जारी करेंगे
इसके साथ ही रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि वह जल्द ही इसको लेकर एक गाइडलाइन जारी करेंगे। डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोन लेने की इकोसिस्टम को सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए हम जल्द ही एक गाइडलाइन जारी करेंगे। गवर्नर ने कहा कि बड़ी टेक फाइनेंस कंपनियों की लोन रिकवरी की प्रक्रिया चिंताएं पैदा करती है। जिस तरह से लोन की तारीख पर पैसा नहीं दिए जाने पर भारी मात्रा में ब्याज और जुर्माना लगाया जाता है वह ठीक नहीं है।

एजेंट का रवैया बर्दाश्त नहीं
लोन रिकवरी एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ये एजेंट सख्त तरीके अपना रहे हैं, ये लोग गलत समय पर ग्राहक को फोन करते हैं,उनके साथ गलत भाषा का इस्तेमाल करते हैं, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वहीं महंगाई पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महामारी के दौरान मौद्रिक नीति कमेटी ने महंगाई को हालात के अनुसार बर्दाश्त करने का फैसला लिया था।

ब्लॉकचेन को लेकर जाहिर की चिंता
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ब्लॉकचेन में शामिल लोग एक बड़ी चुनौती पैदा कर रहे हैं और इन्हें विनियमित रखने की वैश्विक स्तर पर जरूरत है। यह तकनीक सिर्फ किसी देश तक सीमित नहीं रह सकती है। नियामक किसी भी कार्रवाई के लिए नियमानुसार कहीं भी जा सकते हैं। इससे पहले आरबीआई का उद्देश्य सनसेट क्लॉज मुहैया कराना था, लेकिन जिस तरह से इस साल क्रेडिट ग्रोथ 12 फीसदी बढ़ी वह संतोषजनक है। जबकि यह पिछले 5-6 फीसदी तक थी।

महंगाई पर कही ये बात
महामारी के समय कमेटी ने निर्णय लिया था कि वह महंगाई को स्वीकार करेंगे क्योंकि हालात उस वक्त अनुकूल नहीं थे, अन्यथा स्थिति और भी बदतर हो सकती थी। अगर मौद्रिक नीति सख्त होती तो अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता और यह काफी बड़ा होता। समय की जरूरत के अनुसार आरबीआई ने जरूरी कदम उठाए। आसान लिक्विडिटी की प्रक्रिया से बाहर आने में थोड़ा समय लगेगा, कुछ पहलू ऐसे हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं।