लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट में RBI का हलफनामा, कहा- और राहत देना संभव नहीं
नई दिल्ली। देश की बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में आरबीआई ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित सेक्टर्स को अधिक राहत देना संभव नहीं है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि मोरेटोरियम की अवधि को छह महीने से अधिक बढ़ाना संभव नहीं है। बता दें कि 13 अक्टूबर से पहले सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई होने से पहले आरबीआई ने न्यायालय में अपना हलफनामा दायर किया है।
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अपने हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर 2 करोड़ तक के ऋण के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया जा सकता है लेकिन इसके अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकता है। आरबीआई ने कहा कि छह महीने से अधिक मोरेटोरियम उधारकर्ताओं के क्रेडिट व्यवहार को प्रभावित कर सकता है और निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिम को बढ़ा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पडे़गा।
आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सरकार पहले ही 2 करोड़ तक के छोटे कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज न लेने का फैसला ले चुकी है अब उससे अधिक राहत देना संभव नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर समेत कुछ क्षेत्र कोरोना के आने से पहले ही दिक्कतों का सामना कर रहे थे, कोविड-19 के दौरान सरकार की तरफ से दिया गया मोरेटोरियम उनकी सभी समस्याओं का हल नहीं हो सकता। इसके अलावा आरबीआई ने कोर्ट से कहा कि कर्ज का भुगतान न करने वाले सभी खातों को NPA घोषित करने पर लगी रोक को हटाया जाए, इससे बैंकिंग व्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।
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