PM मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर रघुराम राजन ने खड़े किए सवाल, बोले- पहले भी हो चुकी हैं ऐसी कोशिशें
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अब प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर सवाल खड़ा किया है। रघुराम राजन ने अपने एक बयान में कहा कि पूर्व में भी 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे कार्यक्रमों का बेहतर परिणाम नहीं मिला है। उन्होंने आशंका जताई है कि कहीं ये अभियान भविष्य में संरक्षणवाद में न बदल जाए। रघुराम राजन ने यह बयान आर्थिक शोध संस्थान आईसीआरआईईआर के वेबिनार को संबोधित करते हुए दिया।
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रघुराम राजन ने कहा, इससे पहले भी सरकार द्वारा ऐसी कई नीतियां अपनाई गई हैं लेकिन उनका कोई लाभ नहीं हुआ। सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का परिणाम भी कहीं संरक्षणवाद के रूप में सामने आए। पूर्व गवर्नर ने पीएम मोदी की योजनाओं पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर 'आत्मनिर्भर भारत' से मतलब क्या है? अगर वह ये सोच रहे हैं कि इससे उत्पादन के लिए भारत में बेहतर परिवेश बनेगा तो, ये 'मेक इन इंडिया' पहल का ही दूसरा नाम है।
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उन्होंने आगे कहा, हमारे पास पहले भी लाइसेंस परमिट राज व्यवस्था थी। संरक्षणवाद का यह तरीका समस्या पैदा करने वाला था, कुछ कंपनियों को इससे लाभ जरूर हुआ लेकिन यह कई लोगों के लिए गरीबी का कारण भी बना। शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रघुराम राजन ने कहा कि भारत को वर्तमान में वैश्विक स्तर के मैन्युफैक्चरिंग व्यवस्था की जरूरत है। इसका मतलब है कि विनिर्माताओं के लिए देश में सस्ते आयात तक पहुंच हो। इससे वास्तव में मजबूत निर्यात का आधार बनता है।
'आत्मनिर्भर
भारत'
मिशन
पर
IMF
ने
क्या
कहा
?
उधर,
अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा
कोष
ने
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
मिशन
आत्मनिर्भर
भारत
को
एक
अहम
पहल
कहा
है।
आईएमएफ
(IMF)
में
संचार
विभाग
के
निदेशक
गेरी
राइस
ने
24
सितंबर
को
मीडिया
से
बात
करते
हुए
कहा
था,
कोरोना
काल
में
भारत
में
घोषित
आत्मनिर्भर
भारत
के
तहत
किए
गए
आर्थिक
पैकेज
ने
भारतीय
अर्थव्यवस्था
को
सहारा
दिया
है।
इस
अभियान
ने
बड़े
जोखिमों
को
कम
किया
है,
इसलिए
आत्मनिर्भर
भारत
पहल
को
हम
महत्वपूर्ण
मानते
हैं।