आधार कार्ड को छोटी बचत योजनाओं से जोड़ना चाहता था वित्त मंत्रालय, कानून मंत्रालय ने ठुकराया प्रस्ताव
नोटबंदी से पहले आधार कार्ड को लेकर एक नया कानून बनाए जाने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय द्वारा कानून मंत्रालय को दिया गया था, जिसे कानून मंत्रालय ने अस्वीकार कर दिया।
नई दिल्ली। कानून मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के उस प्रस्ताव को अस्वीकर कर दिया है, जिसमें छोटी बचत योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया था। आपको बता दें कि इन योजनाओं में हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपयों का निवेश किया जाता है। नोटबंदी का फैसला किए जाने से पहले ही वित्त मंत्रालय ने कानून मंत्रालय से पूछा था कि क्या छोटी बचत योजनाओं जैसे किसान विकास पत्र, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाना चाहिए? ये भी पढ़ें- खुशखबरी- आयकर में कटौती का केंद्र सरकार कर सकती है ऐलान
यह
प्रस्ताव
वित्त
मंत्रालय
के
आर्थिक
मामलों
के
विभाग
ने
रखा
था
कि
बहुत
से
लोग
जांच
से
बच
जाते
हैं
क्योंकि
वे
50
हजार
रुपए
से
कम
की
छोटी-छोटी
कई
योजनाओं
में
निवेश
करते
हैं।
इन
योजनाओं
में
निवेश
करने
के
लिए
पैन
कार्ड
की
जरूरत
नहीं
होती
है,
इसलिए
वे
जांच
से
बच
जाते
हैं।
कानून
मंत्रालय
ने
आर्थिक
मामलों
के
विभाग
के
उस
प्रस्ताव
को
4
अक्टूबर
को
अस्वीकार
कर
दिया
था
और
कहा
था
कि
आधार
एक्ट
के
सेक्शन
7
के
तहत
ऐसा
नहीं
किया
जा
सकता
है।
कानून
मंत्रालय
के
अनुसार
छोटी
बचत
योजनाएं
पब्लिक
अकाउंट
फंड
ऑफ
इंडिया
के
अन्तर्गत
आती
हैं,
न
कि
कंसोलिडेटेड
फंड
के
तहत,
जिस
पर
आधार
एक्ट
लागू
हो।
ये
भी
पढ़ें-
नोटबंदी
के
बाद
बचत
खाते
पर
मिलने
वाले
ब्याज
दरों
को
घटाने
की
तैयारी
में
बैंक,
जल्द
होगा
ऐलान
सेक्शन
7
के
तहत
सरकार
किसी
भी
व्यक्ति
द्वारा
सब्सिडी,
लाभ
या
कोई
सेवा
लिए
जाने
पर
उसकी
पहचान
करने
के
लिए
आधार
कार्ड
मांग
सकती
है।
जब
कानून
मंत्रालय
ने
इस
प्रस्ताव
को
अस्वीकार
कर
दिया
तो
आर्थिक
मामलों
के
विभाग
ने
दोबारा
से
कानून
मंत्रालय
को
इस
प्रस्ताव
पर
विचार
करने
को
कहा,
लेकिन
14
दिसंबर
को
दोबारा
से
कानून
मंत्रालय
ने
वित्त
मंत्रालय
प्रस्ताव
को
ठुकरा
दिया।
आपको
बता
दें
कि
2014-15
में
छोटी
बचत
योजनाओं
में
2,89,080
करोड़
रुपए
जमा
किए
गए,
जबकि
2,48,667
करोड़
रुपए
निकाले
गए।