पेट्रोल-डीजल की कीमतों से मचा हाहाकार, निर्मला सीतारमण बोलीं- 'धर्मसंकट' में सरकार
नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों लेकर हाहाकार मचा हुआ है। विपक्षी पार्टियां इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार की नाकामी को जिम्मेदार ठहरा रही हैं, वहीं अब जनता के भी सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है। ईंधन की कीमतों को लेकर जारी विरोध के बीच शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह देश के उपभोक्ताओं की परेशानी समझती हैं लेकिन सरकार के सामने भी 'धर्मसंकट' जैसे हालात हैं। वित्त मंत्री के मुताबिक ऐसे कई संकेत मिल रहे हैं जो अर्थव्यवस्था में सुधार की बात को सही ठहरा रहे हैं।
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दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सरकार के सामने जिस धर्मसंकट की बात कर रही हैं, वह दो प्रकार की परेशानी है। पहला ये कि अब वाहन ईंधन की कीमतें बाजार भाव यानी तेल कंपनियां तय करती हैं। सरकार के सामने दूसरी समस्या यह है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते राजस्व में आए घाटे की वजह से टैक्स में कटौती करना केंद्र के लिए मुश्किल काम है। बता दें कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का करीब 50 फीसदी केंद्र और राज्य सरकारों का टैक्स होता है।
कई
शहरों
में
पेट्रोल
100
के
पार
गौरतलब
है
कि
भारत
के
कुछ
शहरों
में
पहली
बार
पेट्रोल
का
भाव
100
रुपए
प्रति
लीटर
से
अधिक
हो
चुका
है।
अगर
अंतरराष्ट्रीय
बाजारों
में
कच्चे
तेल
की
कीमतों
के
हालिया
रुझान
को
देखें,
तो
तेल
और
भी
महंगा
हो
सकता
है।
ईंधन
की
आसमान
छूती
कीमतों
को
लेकर
विपक्ष
लगातार
सरकार
पर
हमला
कर
रहा
है।
हाल
ही
में
कांग्रेस
नेता
अभिषेक
मनु
सिंघवी
ने
अपने
एक
बयान
में
कहा
था
कि
सरकार
को
पेट्रोल
और
डीजल
पर
अतिरिक्त
करों
को
तुरंत
हटाना
चाहिए।
इससे
कीमतों
को
नीचे
लाने
में
मदद
मिलेगी।
मोदी
सरकार
लोगों
के
लिए
सबसे
महंगी
सरकार
रही
है,
जिसने
लोगों
पर
भारी
कर
लगाया
है।
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