नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की चेतावनी, बड़ी आर्थिक मंदी के बेहद करीब हैं हम
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजी बनर्जी ने चिंता जाहिर की है। बनर्जी ने कहा कि हम बड़ी मंदी के काफी करीब हैं। वर्ष 1991 में अर्थव्यवस्था दर में गिरावट की तुलना करते हुए बनर्जी ने कहा कि विकास की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए मांग को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए अभिजीत बनर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी समस्या मांग की है, मांग को बढ़ाने की सख्त जरूरत है, इसी के जरिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है।
बजट घाटा की चिंता नहीं करनी चाहिए
नोबेल पुरस्कार विजेत बनर्जी ने कहा कि हमे बजट घाटा और लक्ष्य की प्राप्ति के बारे सोचने की जरूरत नहीं है, हमे महंगाई को भी लक्ष्य बनाने की जरूरत नहीं। अर्थव्यवस्था को थोड़ा पकने देना चाहिए। हमे खुले तौर पर इसे देखना होगा। हम अब भी बहुत ही बंद अर्थव्यवस्था हैं, लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि सरकार के लिए हाथ खोलने में कोई खास समस्या होगा। प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स को कम किए जाने पर बनर्जी ने कहा कि मुझे नहीं लगता मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था को इससे मदद मिलेगी। कॉर्पोरेट सेक्टर फिलहाल नगदी के ढेर पर निर्भर है। लिहाजा इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
अप्रवासी समस्या
जिस तरह से पड़ोसी देश से प्रवासियों के भारत में आने का मुद्दा राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुए है, उसपर बनर्जी ने कहा कि इस बात के तथ्य नहीं है कि भारत आने वाले अप्रवासी कम दक्षता वाले अप्रवासी भारत में रोजगार के क्षेत्र में समस्या खड़ी कर सकते हैं। अगर कम दक्षता के लोग भारत में आते हैं तो उनके लिए रोजगार के नए अवसर बनाने की जरूरत है। अहम बात यह है किक तमाम देशों में उन अप्रवासियों का स्वागत किया जाता है जो अधिक दक्ष होते हैं। बता दें कि देश की गिरती अर्थव्यवस्था सहित तमाम मुद्दों को लेकर आज ट्रेड यूनियन ने देशभर में बंदी का आह्वाहन किया है।
ट्रेड यूनियन की हड़ताल
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने साझा बयान में दावा किया है कि इस हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे। बयान में कहा गया है, 'श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिकों की किसी भी मांग को लेकर उन्हें आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी। सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है।'