ये लग्जरी कार लोगों की बिगाड़ रही थी सेहत, लगा 171 करोड़ का जुर्माना
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की चार सदस्यीय समिति ने जर्मनी की वाहन कंपनी फाक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। कंपनी पर यह जुर्माना अत्यधिक नाइट्रोजन आक्साइड (NOX) के उत्सर्जन के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य को हुए नुकसान को लेकर लगाया गया है। जुर्माने का निर्धारण भारत में फाक्सवैगन की 3.27 लाख कार के आधार पर किया गया है। इन कारों में उत्सर्जन को छिपाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया था।
काफी
पर्यावरण
बिगाड़ा
विशेषज्ञ
समिति
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
अनुमान
लगाया
है
कि
फाक्सवैगन
की
कारों
ने
राष्ट्रीय
राजधानी
क्षेत्र
में
2016
में
लगभग
48.68
टन
एनओएक्स
(NOX)
उत्सर्जन
किया।
समिति
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
कहा
है
कि
अतिरिक्त
एनओएक्स
उत्सर्जन
के
कारण
स्वास्थ्य
को
नुकसान
हुआ
और
दिल्ली
को
जैसे
महानगरों
को
आधार
मानते
हुए
मूल्य
के
हिसाब
से
यह
नुकसान
करीब
171.34
करोड़
रुपये
का
है।
समिति
के
अनुसार
मूल्य
का
आकलन
शहर
में
लोगों
की
प्रति
व्यक्ति
आय
के
आधार
पर
की
गई
है.
वहीं,
मौद्रिक
अनुमान
के
लिए
मृत्यु
दर
को
लेकर
सांख्यिकी
जीवन
का
उपयोग
किया
गया
है.
एनजीटी (NGT) का अनुमान
एनजीटी (NGT) के अनुसार देश में पर्यावरण पर नाइट्रोजन आक्साइड के कुल प्रभाव के आकलन के तरीकों को जानने का अभाव है। इसीलिए केवल स्वास्थ्य नुकसान का आकलन किया गया है और उसी आधार पर जुर्माना लगाया गया है।
घातक
बीमारियां
पैदा
करता
है
नाइट्रोजन
आक्साइड
नाइट्रोजन
आक्साइड
वायु
प्रदूषित
करता
है
और
यह
हृदय
और
फेंफड़े
की
बीमारी
का
कारण
है।
चार
सदस्यीय
समिति
में
एआरएआई
(आटोमोटिव
रिसर्च
एसोसिएशन
आफ
इंडिया)
की
निदेशक
रश्मि
उर्द्धवर्शी,
सीएसआईआर-एनईईआरआई
के
प्रधान
वैज्ञानिक
डा.
नितिन
लाभसेतवार,
भारी
उद्योग
मंत्रालय
में
निदेशक
रामाकांत
सिंह
तथा
सीपीसीबी
के
सदस्य
सचिव
प्रशांत
गरगवा
हैं।
एनजीटी
ने
इस
मामले
में
सुझाव
देने
के
लिये
समिति
का
गठन
पिछले
साल
16
नवंबर
को
किया।
समिति
को
इस
बात
पर
विचार
करने
की
जिम्मेदारी
दी
गयी
थी
कि
क्या
कंपनी
ने
निर्धारित
पर्यावरण
नियमों
का
अनुपालन
नहीं
किया।
साथ
ही
इससे
पर्यावरण
को
हुए
नुकसान
का
आकलन
करने
को
कहा
गया
था।
समिति
की
राय
समिति
ने
एनजीटी
(NGT)
से
कहा
कि
नाइट्रोजन
आक्साइड
के
उत्सर्जन
का
प्रमुख
स्रोत
वाहन
हैं।
नाइट्रोजन
आक्साइड
का
सबसे
प्रमुख
और
प्रचलित
रूप
नाइट्रोजन
डाइआक्साइड
है।
उसने
कहा
कि
हवा
में
नाइट्रोजन
डाइआक्साइड
की
अत्यधिक
मात्रा
से
अस्थमा
होने
का
खतरा
है
और
इससे
श्वसन
संबंधी
बीमारी
बढ़
सकती
है।
समिति
के
अनुसार
मूल्य
का
आकलन
शहर
में
लोगों
की
प्रति
व्यक्ति
आय
के
आधार
पर
की
गयी
है।
वहीं
मौद्रिक
अनुमान
के
लिये
मृत्यु
दर
को
लेकर
सांख्यिकी
जीवन
का
उपयोग
किया
गया
है।
जुर्माने
का
निर्धारण
भारत
में
फाक्सवैगन
की
3.27
लाख
कार
के
आधार
पर
किया
गया
है।
इन
कारों
में
उत्सर्जन
को
छिपाने
के
लिये
सॉफ्टवेयर
का
उपयोग
किया
गया
था।
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