लॉकडाउन में घर बैठे कर्मचारियों के लिए सरकार से वित्तीय पैकेज की मांग, नैसकॉम ने दिया ब्रिटेन का उदाहरण
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनियाभर के करोड़ों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से सिर्फ भारत में ही लाखों नौकरियां जाने की संभावना है। लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। ऑफिस, फैक्ट्रियां और उद्योग बंद होने की वजह से लोग की जीविका पर संकट आ गया है। इसी बीच आईटी उद्योग निकाय नैसकॉम ने उन कर्मचारियों के लिए सरकार से मदद मांगी है जिनके पास कोई काम नहीं है।
नैसकॉम ने सुझाव दिया है कि वेतन कर्मचारियों को केवल वैधानिक अधिकारों के साथ न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से यह भी कहा है कि वह ब्रिटेन की तरह एक योजना शुरू करे, जिसमें लॉकडाउन की अवधि के लिए कर्मचारी कंपनी के साथ बने रह सकते हैं, लेकिन वेतन नहीं ले सकते हैं। इस अवधी में सरकार कर्मचारियों के वेतन का 50% का भुगतान करती है जिसमें कंपनी की ओर से कोई योगदान नहीं होता।
नैसकॉम ने अपने एक बयान में कहा कि देश में नौकरी के नुकसान को रोकने के लिए 15 अप्रैल के बाद इस योजना की आवश्यकता पड़ेगी। बीपीएम, जीआईसी और आईटी उद्योग के कुछ हिस्सों में अधिकतम 70% क्षमता का उपयोग हो रहा है। उद्योग के 20% लोगों का मानना है कि घर में एक बहुत बड़ी संख्या मजदूरों की है जिनके पास कोई काम नहीं है। आईटी / बीपीएम उद्योग में 4 मिलियन से अधिक कर्मचारी हैं। इनमें से लगभग एक मिलियन बीपीएम सेगमेंट में हैं, जो वैश्विक और घरेलू कंपनियों को वित्त, लेखा, पेरोल, खरीद, एचआर, आपूर्ति श्रृंखला, कानूनी और अन्य सेवाएं प्रदान करता है।
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