चेक से करते हैं पेमेंट तो ध्यान दें, आपकी ये गलती पहुंचाएगी जेल
नई दिल्ली। अगर आप चेक से पेमेंट करते हैं तो थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत हैं। चेक बाउंस के नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नियम में संशोधन किया है। नए संशोधन के मुताबिक चेक बाउंस होने की सूरत में अंतरिम मुआवजा हासिल करने के लिए शिकायतकर्ता को एक अनिवार्य शर्त पूरी करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 143ए को 2018 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद चेक बाउंस होने की स्थिति में शिकायतकर्ताओं को 20 फीसदी अंतरिम मुआवजा मिलेगा।
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जेल जाने की नौबत
चेक साइन करके देने से पहले हमेशा ये तय कर लें कि आप के खाते में उतनी रकम है कि नहीं जितने का आपने चेक दिया है। दरअसल संसद में पिछले साल ही एक ऐसा विधेयक पारित हो चुका है, जिसमें जुर्माने का प्रावधान है। इसके तहत अगर आपका चेक बाउंस होता है तो आपको चेक की रकम का 20 फीसदी हिस्सा अदालत में अंतरिम मुआवजे के तौर पर जमा कराना होगा। इसके अलावा चेक बाउंस मामलों के दोषियों को 2 साल तक की सजा का प्रावधान है। यानी चेक बाउंस होने पर अब जेल भी जाना पड़ सकता है।
चेक देने से पहले रहें सतर्क
चेक बाउंस होने की स्थिति में बैंक की ओर से एक स्लिप भी दी जाती है। इस स्लिप में चेक बाउंस होने का कारण लिखा होता है। चेक बाउंस की स्थिति में आपको जितने का चेक जारी किया है उसका 20 फीसदी अमाउंट कोर्ट में जमा करना होगा। अगर मामला निचले अदालत के बाद ऊपरी अदालत में पहुंचता है तो फिर से आपको कुल राशि की 20 फीसदी रकम अदालत में जमा कराना होगा।
कैसे बाउंस होता है चेक
चेक देते वक्त आपको हमेशा ये ध्यान रखना चाहिए कि आपने जितने अमाउंट का चेक दिया है उतनी रकम आपके खाते में हैं कि नहीं। ऐसा नहीं होने पर आपका चेक बाउंस हो जाता है। चेक कोई व्यक्ति या कंपनी जारी कर सकती है। चेक को लेकर कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे ओवर राइटिंग नहीं होनी चाहिए। चेक जारी किए जाने के बाद वो 3 महीने तक ही वैध होता है। चेक पर साइन करते वक्त अलर्ट होना चाहिए। आपके साइन जो आपने बैंक के रिकॉर्ड में दर्ज करवाया है अगर उससे आपका साइन नहीं मैच करता तो भी आपकी परेशानी बढ़ जाएगी।