Yes Bank पर पाबंदियों से PhonePe सबसे ज्यादा प्रभावित, अन्य कंपनियों को भी नुकसान
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने निजी बैंकों में से एक यस बैंक पर कड़ी पाबंदियां लगा दी हैं। अब ग्राहकों के लिए निकासी सीमा 50 हजार रुपये तय कर दी गई है। सूचना मिलते ही ग्राहकों में बेचैनी बढ़ गई है। इसके साथ ही कई फिंटेक कंपनियों (fintech partners) को भी घाटे का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित पैसे को ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल होने वाला फोनपे है। ये यस बैंक का सबसे बड़ा पेमेंट पार्टनर है।
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जानकारी के लिए बता दें, फिंटेक कंपनियां अपने इनोवेशन की वजह से देश के कोने-कोने में बैंकिंग सेवा पहुंचाने में मदद करती हैं। इसी वजह से बैंक इन्हें अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि पार्टनर मानते हैं। यस बैंक की नेटबैंकिंग सेवा भी प्रभावित हो रही है। फोनपे के सीईओ समीर निगम ने ट्विटर पर ग्राहकों से कहा कि हमें इस लंबी रुकावट के लिए खेद है। हमारे साझेदार बैंक (Yes Bank) पर आरबीआई द्वारा कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी टीम ने रातभर सेवाएं जारी रखने के लिए काम किया है। हमें उम्मीद है कि ये कुछ घंटों में ठीक हो जाएगा।
बता दें यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। बैंक पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते निवेशकों को भी 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ है। जहां अगस्त 2018 में यस बैंक का जो शेयर 400 रुपये में बिक रहा था, वो अब लुढ़ककर 30 रुपये पर आ गया है। सितंबर 2018 में बैंक की मार्केट कैप करीब 80 हजार करोड़ रुपये थी, वो अब 9 हजार करोड़ के स्तर पर आ गई है।
जानकारी के मुताबिक आरबीआई की सिफारिश के बाद सरकार ने यस बैंक पर 5 मार्च से 3 अप्रैल तक ये पाबंदी लगाई है। आदेश गुरुवार शाम 6 बजे से प्रभावी हो गया है। यानी अब ग्राहक अगले आदेश तक हर महीने अपने खाते से सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकाल पाएंगे। इसके साथ ही यस बैंक के बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है। अपने बयान में आरबीआई ने कहा, 'केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और जमाकर्ताओं के हित को लेकर बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत पाबंदी लगाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।'
मामले पर आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, आपको बैंक (यस बैंक) और मैनेजमेंट को समय देना होगा ताकि जो भी जरूरी कदम हैं वो उठा सकें। बैंक पिछले कई महीनों से कोशिश कर रहा है। जब हमें पता लगा कि अब हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते तब हमने मामले में दखल दिया।
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