Lockdown के बाद एक और बड़े राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है मोदी सरकार
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देश को लॉकडाउन किया गया है। देशभर को 14 अप्रैल तक के लिए बंद किया गया है। जरूरी सेवाओं को छोड़कर देश की सभी फैक्ट्रियां, कंपनियों, स्कूल-कॉलेज, बाजार, मॉल्स, दुकानें, दफ्तर सब बंद हैं। ऐसे में देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ चुकी हैं। केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की स्थिति में गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों की मदद के लिए 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की। माना जा रहा है कि सरकार लॉकडाउन के बाद एक और राहत पैकेज की घोषणा तक सकती है।
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सरकार दे सकती है एक और राहत पैकेज
देश की अर्थव्यवस्था को गति देने और उसे लॉकडाउन की स्थिति निपटने में मदद करने के लिए केंद्र सरकार एक और राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है। इसे लेकर वित्त मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच लगातार बैठकों, विचार-विमर्श का दौर चल रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके मंत्रालयों के सचिवों के बीच एक और राहत पैकेज को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि इसे लेकर अभी फैसला नहीं हुआ है, लेकिन बैठकों से उम्मीद की जा रही है कि सरकार अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन से हुए नुकसान को वापस ट्रैक पर लाने में मदद कर सकती है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन की स्थिति से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार रास्ते तलाश की जा रही है।
सरकार उठा सकती है अहम कदम
सरकार
ने
गरीबों
और
वंचितों
को
सहारा
देने
के
लिए
पहले
ही
1.70
लाख
करोड़
रुपए
के
प्रधानमंत्री
गरीब
कल्याण
राहत
पैकेज
की
घोषणा
की।
मीडिया
खबरों
के
मुताबिक
मंत्रालयों
के
बीच
लॉकडाउन
के
बाद
की
स्थिति
से
निपटने
के
लिए
विचार-विमर्श
जारी
है।
रेवेन्यू
और
व्यय
पर
करीबी
नजर
बनाए
हुए
हैं।
राहत
पैकेज
को
लेकर
कोई
अंतिम
फैसला
नहीं
लिया
गया
है।
हर
पहलू
पर
चर्चा
की
जा
रही
है।
सरकार
ने
उम्मीद
जताई
है
कि
अर्थव्यवस्था
में
सुधार
लाने
के
लिए
सभी
आवश्यक
कदम
उठाए
जाएंगे।
फिलहाल
केंद्र
सरकार
कई
विकल्प
पर
विचार
कर
रही
है।
सबसे ज्यादा झटका इन सेक्टर्स को
लॉकडाउन
की
वजह
से
देश
के
मैन्युफैक्चरिंग
और
सर्विस
सेक्टर
को
सबसे
बड़ा
धक्का
लगा
है।कोरोना
वायरस
के
कारण
नौकरियों
पर
संकट
मंडरा
सकता
है।
इसका
सबसे
ज्यादा
खतरा
उन
लोगों
पर
मंडरा
रहा
है,
जो
नियमित
रोजगार
में
नही
और
जिन्हें
कोई
लिखित
दस्तावेज
नौकरी
का
नही
मिला
है।
नेशनल
सैंपल
सर्वे
के
मुताबिक
ऐसे
लोगों
की
संख्या
13.6
करोड़
हैं।
ये
लोग
गैर-कृषि
सेक्टर,
मैन्यूफैक्चरिंग
सेक्टर,
गैर-मैन्यूफैक्चरिंग
क्षेत्र
में
और
सेवा
क्षेत्र
में
हैं.
जिनपर
छंटनी
का
खतरा
मंडरा
रहा
है।