GST पर निजी कंपनियों की चेतावनियों को मोदी सरकार ने किया नजरअंदाज, जल्दीबाजी में किया गया लागू- रिपोर्ट
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने इसी साल 30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया। विपक्ष जहां इसको लागू करे का विरोध कर रहा था वहीं सत्ता पक्ष का कहना था कि इससे कर प्रणाली आसान हो जाएगी। हालांकि हाल ही में GST पर आई एक रिपोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट कंपनियों की ओर से दी गई चेतावनियों को भारत सरकार ने नजरअंदाज किया। इस रिपोर्ट पर काम करे वाले कई लोगों ने कहा कि चेतावनी दी गई थी कि देशव्यापी GST के लिए आवश्यक तकनीक सुचारू रूप से काम करने के लिए तैयार नहीं है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 जुलाई से कुछ हफ्ते पहले सरकार ने खुद को तैयार किया और उद्योग विशेषज्ञों को झिड़की दी जिन्होंने कहा था कि बदलाव में तैयारी करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 20 जून को कहा था कि 'यह एक जटिल प्रक्रिया नहीं है।'
परियोजना पर काम करने वालों ने कहा...
हालांकि, इस परियोजना पर काम करने वाले 10 से अधिक कर और आयकर सलाहकारों ने कहा कि सरकार जटिल व्यवस्था के अधिक परीक्षण के लिए चेतावनियों की अनदेखी कर रही थी,भले ही परिवर्तन को जोर दिया जा रहा था। सूत्रों ने बताया कि इंफोसिस ने जीएसटी तकनीकी नेटवर्क का निर्माण किया, लेकिन उन्होंने 'बुनियादी गलतियां' की।
सरकार के अधिकारियों ने नहीं ली जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारियों ने जीएसटी रोल में आने वाली समस्याओं के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं ली है। सरकार अभी भी कर की दरों में बदलाव कर रही है, समय सीमा बता रही है, और अन्य सुविधाओं के चलते सिस्टम को स्थिर करने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में सरकारी अनुबंधों को खोने का डर है।
उद्योग का मजाक उड़ा रहे थे लोग
फर्म के निदेशक ने कहा कि 'जीएसटी नेटवर्क विकसित करने में शामिल एक वित्तीय नियोजन फर्म के निदेशक ने कहा कि उस समय, नई दिल्ली में लोग उद्योग का मजाक उड़ा रहे थे। कह रहे थे कि 'सरकार तैयार है, लेकिन उद्योग नहीं है।' उन्होंने कहा कि अब लोग हंस कर पूछ रहे हैं, 'तो कौन वास्तव में तैयार नहीं था?'
किसी भी टिप्पणी से इनकार
इन सब पर वित्त मंत्रालय और GSTN, जीएसटी नेटवर्क का प्रबंधन करने वाली सरकारी प्राधिकरण ने उद्योग द्वारा जीएसटी रोलआउट या विशिष्ट चेतावनियों के बारे में पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जीएसटी कानून पर दशकों से बहस हुई थी, उद्योग को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय था, और गलतियां सही की जा रही हैं। इंफोसिस ने एक बयान में कहा है कि "जीएसटी सिस्टम के बारे में कई सवाल उठाए गए हैं और इस पर कुछ अच्छे इंजीनियरों सभी सवालों को हल करने के लिए काम कर रहे हैं।
तकनीकी दिक्कतों के चलते भ्रामक
जीएसटी प्रणाली को कई तरह के संघीय और राज्यों के लेवी के बदलने के लिए बनाया गया था, और मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कहा है कि कर से देश के 29 राज्यों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला। हालांकि, लॉन्च होने के बाद से, प्रणाली को चार मुख्य दरों के साथ तकनीकी दिक्कतों के चलते भ्रामक कर संरचना से परेशानी हुई जो इसे अस्थिर बना रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि...
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि जीएसटी प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, जीएसटी नेटवर्क से जुड़ने की इजाजत देने पर, वह आसानी से काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य तकनीकी दोष हैं जो गलत कर मूल्यांकन के परिणामस्वरूप थे। वित्तीय नियोजन फर्म के निदेशक ने कहा कि 'सरकार 1 जुलाई को जीएसटी शुरू करने पर 'अटल' थी, जाहिर है, इससे परेशानी पैदा होगी।' अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय आर्थिक विकास में तीन साल के निम्नतम स्तर पर जीएसटी से जुड़ी परेशानियों को कुछ हद तक दोषी ठहराया गया।
'ऐसा कभी नहीं हुआ'
ऑडिट फर्म के लिए काम करने वाले व्यक्ति ने एक उदाहरण दिया कि , जीएसटीएन द्वारा किया गया टेस्ट असली-दुनिया की स्थितियों को से वाकिफ नहीं है। 'अप्रैल और मई महीने में जीएसटीएन ने 100 कंपनियों को अपलोड करने और देखने के लिए एक चालान दिया था जिससे यह पता चलता कि यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं।' उन्होंने कहा कि आप वास्तव में चालान को एक नमूने के रूप में ले कर प्रणाली का परीक्षण नहीं कर सकते हैं। 'जीएसटीएन ने कंपनियों को बताया था कि वो बड़ी संख्या में लेनदेन के साथ अधिक परीक्षण करेगी। ऐसा कभी नहीं हुआ।'
INFOSYS है जिम्मेदार
हालांकि, जीएसटीएन के प्रमुख प्रकाश कुमार ने कहा कि लॉन्च में 'एक चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया गया' और 'बड़े आईटी प्रोजेक्ट्स में बदलाव स्थिर हैं।' वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि इंफोसिस नेटवर्क के निर्माण में 'स्थिति की गंभीरता' को समझने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है, सरकार को उन कठिनाइयों का एहसास नहीं हुआ जिन्हें सामना करना पड़ेगा, लेकिन इन्फोसिस भी जिम्मेदार है।