LIC पर भी NPA की मार, 5 सालों में 30000 करोड़ के पार हुआ बैड लोन
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी(LIC) पर भी नॉन परफॉर्मिंग एसेट की मार पड़ने लगी है। 5 सालों में एलआईसी पर एनपीए की मार दोगुनी हो गई है। एलआईसी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 30 सितंबर 2019 तक एलआई की कुल एनपीए 30000 करोड़ रुपए की हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2019 में एलआईसी की सकल एनपीए 6.10 प्रतिशत रहा, जो कि पिछले 5 सालों में लगभग दोगुना हो गया। साल 2019 से पहले तक एलआईसी का एनपीए 1.5 से लेकर 2 प्रतिशत के बीच रहा।
एलआईसी के बड़े कर्जदारों की वजह से बीमा कंपनी की हालत खस्ताहाल हो गई है। एलआईसी की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पर पिछले पांच सालों में सबसे बैड लोन का बोझ बढ़ा है। हालांकि एलआईसी के पास कुल 36 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कुल संपत्ति है और कई बड़ी प्राइवेट कंपनियों में उसकी हिस्सेदारी है। सालाना 2,600 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाने वाली LIC ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डिफॉल्ट मामलों में से कई में उसे बहुत कुछ मिलने की उम्मीद नहीं रही है। एलआईसी 25,000 करोड़ रुपये का बैड लोन इन्हीं कंपनियों पर है, जबकि पेंशन बिजनेस से जुड़ी कंपनियों पर 5000 करोड़ का बैड लोन है। वहीं यूनिट लिंक्ड बिजनेस (ULIPs) से जुड़ी कंपनियों पर 500 करोड़ रुपए बकाया है।
LIC के बड़े कर्जदारों में डेक्कन क्रॉनिकल, एस्सार पोर्ट, गैमन, आईएल एंड एफएस , भूषण पावर, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, आलोक इंडस्ट्रीज, एमट्रैक ऑटो, एबीजी शिपयार्ड, यूनिटेक, जीवीके पावर, जीटीएल आदि शामिल है। इन कंपनियों में एलआईस ी टर्म लोन और एनसीडी के जरिए निवेश करती थी।