अब RBI की निगरानी में 1540 को-ऑपरेटिव बैंक, जानिए 8.6 करोड़ खाताधारकों को क्या होंगे फायदे?
नई दिल्ली: बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए बुधवार को मोदी कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया। जिसके तहत अब देश के सभी को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट बैंक आरबीआई के अंतर्गत काम करेंगे। मोदी सरकार ने इस संबंध में फैसला तो बहुत पहले ले लिया था, लेकिन अध्यादेश को मंजूरी बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में दी गई। सरकार के इस फैसले से 8.6 करोड़ खाताधारको को सीधा फायदा पहुंचेगा। आइए जानते हैं कि आरबीआई के अंतर्गत आने से को-ऑपरेटिव बैंकों में क्या सुधार होंगे-
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पैसा रहेगा सुरक्षित
देश में 1482 अर्बन को-ऑपरेटिव और 58 मल्टी स्टेट बैंक है। इन बैंकों में 8.6 करोड़ से ज्यादा खाताधारकों का 4.84 लाख करोड़ रुपये जमा है। हाल ही PMC बैंक से निकासी पर RBI ने रोक लगा दी थी, जिसके बाद लोग अब 1000 रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते हैं। इसी तरह कई अन्य को-ऑपरेटिव बैंकों की हालत भी खराब है। मोदी कैबिनेट के फैसले के बाद अब को-ऑपरेटिव बैंक आरबीआई की देखरेख में काम करेंगे। जिससे प्राइवेट बैंकों की तरह उसमें भी लोगों का पैसा सुरक्षित रहेगा।
भ्रष्टाचार से निजात
को-ऑपरेटिव बैंक गांवों और शहर में काम करते हैं। इनका काम स्थानीय लोगों को छोटे कर्ज उपलब्ध करवाना होता है। कई बार भ्रष्ट तंत्र की वजह से कर्ज तो दे दिया जाता है, लेकिन उसकी वसूली नहीं की जाती है। जिस वजह से NPA बढ़ता जाता है। बाद में यही बैंक के डूबने की वजह बनता है। आरबीआई के अंतर्गत आने से इस पर भी काफी हद तक लगाम लगेगी।
प्राइवेट बैंकों की तरह होंगे हाईटेक
को-ऑपरेटिव बैंक की व्यवस्था काफी कमजोर होती है। पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन इन बैंकों की व्यवस्था जस की तस है। ज्यादातर खाताधारक तो ATM और इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल ही नहीं करते हैं। आरबीआई जब इन बैंकों को हाईटेक करेगा, तो सारे लेने-देन का सही हिसाब रखा जाएगा। इस दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होगी, साथ ही ग्राहकों को भी अच्छी सुविधा मिलेगी।
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