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जानिए, कैसे उबरेगा भारत में ऑटो सेक्टर? हुंडई ने जून में बिक्री में तीन गुना वृद्धि दर्ज की

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस प्रेरित लॉकडाउन से बाहर निकलने के बाद भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर चीन में देखे गए रिकवरी ट्रेंड के साथ काफी करीबी समानता बनाता दिख रहा है, क्योंकि अगर अप्रैल में कड़े लॉकडाउन प्रतिबंधों के बीच अधिकांश निर्माताओं के लिए बिक्री शून्य थी, तो मई में लगभग सभी निर्माताओं ने घरेलू बिक्री में 80 से 90 फीसदी की गिरावट की सूचना दी है।

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हालांकि जून में गिरावट की गति धीमी हो गई और मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर्स ने लगभग 70 फीसदी बाजार हिस्सेदारी की कमान संभाली, जिन्होंने जून 2019 में बिक्री में 53 और 49 फीसदी की गिरावट की घोषणा की थी। इसलिए कहा जा सकता है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में महीने दर महीने की संख्या में रिकवरी हुई है।

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वहीं, मई महीने में मारुति ने जून में 3.8 गुना छलांग की घोषणा की, जबकि हुंडई ने भी जून में बिक्री में तीन गुना वृद्धि दर्ज की। जानिए, आखिर ऑटोमोबाइल सेक्टर में रिकवरी चीन में कैसा रहा है।

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भारत में रिकवरी के लिए अग्रणी क्या है?

भारत में रिकवरी के लिए अग्रणी क्या है?

अप्रैल और मई में कड़े लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण मांग के अलावा भारत में पहली बार खरीदारों द्वारा कॉम्पैक्ट छोटी कारों की मांग बढ़ रही है। प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि वायरस के डर ने सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर अधिक से अधिक व्यक्तियों को कार खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ईडी के सेल्स एंड मार्केटिंग, ईएसआईएल के सेल्स मैनेजर शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि डिमांड में रिकवरी का एक बड़ा हिस्सा उन लोगों से है, जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचना चाहते हैं और अपना वाहन रखना चाहते हैं, क्योंकि जबकि शहरी क्षेत्र कोविद -19 और लॉकडाउन से अधिक प्रभावित हुए हैं। ऑटो उद्योग के खिलाड़ियों का कहना है कि ग्रामीण भारत में तेजी से रिकवरी देखी जा रही है। ऑटोमोबाइल निर्माता उम्मीद कर रहे हैं कि रिकवरी की प्रवृत्ति मजबूत रहेगी, क्योंकि पूछताछ और बुकिंग तेजी से बढ़ रही है। श्रीवास्तव ने बताया कि पूछताछ और बुकिंग 80-85 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

चीन में कैसे हुई थी रिकवरी?

चीन में कैसे हुई थी रिकवरी?

चूंकि कोविद चक्र चीन में जल्दी शुरू हुआ और जनवरी और फरवरी 2020 में चरम पर पहुंच गया, इसलिए रिकवरी का रास्ता भारत के लिए कम से कम 4-5 महीने आगे खिसक सकता है। जबकि चीन में फरवरी में वाहन की बिक्री 79 फीसदी थी, लेकिन पिछले साल की तुलना में मार्च में यह घटकर 40 फीसदी रह गई। अप्रैल में चीन में खुदरा कार की बिक्री बढ़कर 5.5 फीसदी हो गई और फिर मई में बिक्री में वृद्धि सकारात्मक रही, जो मई 2019 से 1.9 फीसदी से अधिक थी। अर्थव्यवस्था को दोबार खोलने के बाद यह चीन में ऑटो बिक्री में एक स्पष्ट और तेज रिकवरी को दिखाता है। चीन में कई निर्माताओं ने इसके लिए पहली बार खरीदारों की बढ़ती मांग को जिम्मेदार बताया, क्योंकि वे बसों और ट्रेनों से दूर रहना चाहते थे, जो उन्हें कोविद -19 से संक्रमित कर सकते थे।

भारत में किस सेगमेंट की मांग बढ़ रही है?

भारत में किस सेगमेंट की मांग बढ़ रही है?

MSIL द्वारा जारी किए गए डेटा से पता चलता है कि सबसे अच्छी रिकवरी ऑल्टो और एस-प्रेसो वाले मिनी सेगमेंट के लिए थी। जून 2019 में एंट्री लेवल सेगमेंट की 56 फीसदी बिक्री हुई। संख्या के लिहाज कॉम्पैक्ट सेगमेंट की कुल 26,664 कारों की बिक्री हुई, जिसमें वैगनआर, स्विफ्ट, सेलेरियो, इग्निस, बलेनो, डिजायर और टूर एस शामिल है। मिनी और कॉम्पैक्ट सेगमेंट ने मिलकर कंपनी के लिए 37,154 कारों की बिक्री की। हालांकि हुंडई कारों की बिक्री का ब्रेकअप उपलब्ध नहीं है, लेकिन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि उसकी छोटी कारों और कॉम्पैक्ट एसयूवी वेन्यू की बिक्री में गिरावट देखी गई।

जिन कंपनियों के पोर्टफोलियो में छोटी कारें नहीं हैं, वो रिकवरी में पिछड़ी

जिन कंपनियों के पोर्टफोलियो में छोटी कारें नहीं हैं, वो रिकवरी में पिछड़ी

यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि जिन कंपनियों के पास अपने पोर्टफोलियो में छोटी कारें नहीं हैं, वे जून में रिकवरी में पिछड़ गए हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने जून 2019 में बिक्री पर 43 फीसदी की रिकवरी दर्ज की। कंपनी ने कहा कि बढ़ती ग्रामीण मांग और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही के कारण कंपनी ने रिकवरी देखी। जबकि टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स ने जून 2019 में अपनी कारों की बिक्री का 37 फीसदी प्रतिशत हिस्सा रिकवर किया, जबकि होंडा कारों के मामले में भारत की जून 2020 की बिक्री जून 2019 की तुलना में केवल 14 फीसदी ही हुई।

क्या रिकवरी की गति जारी रहने की उम्मीद है?

क्या रिकवरी की गति जारी रहने की उम्मीद है?

मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर्स दोनों का कहना है कि उनकी पूछताछ और बुकिंग लगातार बढ़ रही है। कंपनियां अपने उत्पादन स्तर को भी बढ़ा रही हैं। कंपनी वर्तमान में दो पारियों का संचालन कर रहे हैं, दोनों निर्माता प्रोडक्शन तीन पारियों को संचालित कर रहें हैं। तथ्य यह है कि मांग बढ़ रही है, उत्पादन और आपूर्ति की अड़चनों का उन्मूलन केवल बिक्री की क्षमता में आगे सुधार करेगा।

उपभोक्ता की ओर से मांग 80-85 फीसदी सामान्य हो गई है

उपभोक्ता की ओर से मांग 80-85 फीसदी सामान्य हो गई है

MSIL के ईडी, बिक्री और विपणन, शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि जहां उपभोक्ता की ओर से मांग 80-85 फीसदी सामान्य हो गई है, वहीं थोक बिक्री की बात करें तो उद्योग अभी भी लगभग 50 फीसदी की सामान्य स्थिति में है। हालांकि हर गुजरते सप्ताह के साथ इसमें सुधार हो रहा है। एमएसआईएल के मानेसर संयंत्र के बाहर एक यात्रा से पता चला कि कंपनी हरियाणा में आस-पास के जिलों के स्थानीय श्रमिकों को संयंत्र में काम करने के लिए बुला रही है, क्योंकि वह उत्पादन में तेजी ला रहा है। तैयार वाहनों और आपूर्ति को दैनिक आधार पर ले जाने वाले 4,500 ट्रकों में से लगभग 2,000 वापस आ गए हैं और श्रमिकों को परिवहन करने वाली बसों की संख्या मई में 100 से बढ़कर जून के अंत तक लगभग 250 हो गई है

क्यों महत्वपूर्ण है ऑटो सेक्टर?

क्यों महत्वपूर्ण है ऑटो सेक्टर?

भारतीय मोटर वाहन उद्योग का कद देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7 फीसदी से अधिक है और यह विनिर्माण जीडीपी का 22 फीसदी है। उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के अनुसार, भारतीय मोटर उद्योग 3.7 करोड़ से अधिक रोजगार प्रदान करता है और लगभग 1,50,000 करोड़ रुपए के जीएसटी संग्रह के साथ यह एक वर्ष में देश के कुल जीएसटी संग्रह का लगभग 15 फीसदी अकेले योगदान करता है। ऑटो सेक्टर भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है और अप्रैल 2000 और मार्च 2020 के बीच इस क्षेत्र को 24.2 बिलियन डॉलर की FDI राशि प्राप्त हुई है।

पुनरुद्धार की गति में क्या बाधा आ सकती है?

पुनरुद्धार की गति में क्या बाधा आ सकती है?

चूंकि अभी कोविद -19 वैक्सीन को आने में अभी काफी समय लगेगा और ग्रामीण और शहरी दोनों में कोरोना के नए मामलों में वृद्दि भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर में रिकवरी की गति कम कर सकती है, जिससे केंद्र और राज्यों दोनों को अर्थव्यवस्था को कम रफ्तार में खोलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। वहीं, कुछ गतिविधियों को भी बंद करने की अनुमति दी गई है, जोश्रमिकों के वापसी को भी सीमित कर सकता है, जिससे उद्योग की उत्पादन सुधार प्रक्रिया की गति को थाम सकती है।

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English summary
After exiting the lockdown, the Indian automobile sector continues to draw close resemblance to the recovery trends seen in China. If sales were zero for most manufacturers amid tight lockdown restrictions in April, almost all manufacturers reported an 80 to 90 percent drop in domestic sales in May. However, the pace of decline slowed down in June and Maruti Suzuki and Hyundai Motors commanded around 70 per cent market share.
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