जानें कैसे एक ही साल में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में दूसरे पायदान पर पहुंचा यूपी?
नई दिल्ली: घरेलू और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने और राज्यों में कारोबारी माहौल सुधारने के लिए हर साल केंद्र सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग जारी करती है। जिसे राज्य व्यापार सुधार एक्शन प्लान रैंकिंग भी कहा जाता है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने साल 2019 के लिए ये रैंकिंग जारी की। जिसमें उत्तर प्रदेश के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। केंद्र सरकार की ओर से जारी इस रैकिंग में पहला स्थान आंध्र प्रदेश को मिला है, जबकि तेलंगाना को पीछे छोड़ते हुए उत्तर प्रदेश ने दूसरे नंबर पर जगह बना ली है।
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रैंकिंग पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में सभी प्रयास भी किए जा रहे हैं। केंद्र की ओर से जारी ये रैंकिंग इसका प्रमाण भी है। यूपी की राष्ट्रीय रैंकिंग में अभूतपूर्व उछाल पिछले कुछ वर्षों में राज्य सरकार द्वारा किए गए व्यापक सुधारों की वजह से आया है।
कैसे
मिली
जगह?
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
डिपार्टमेंट
फॉर
प्रमोशन
ऑफ
इंडस्ट्री
एंड
इंटरनल
ट्रेड
ने
यूपी
को
187
सुझाव
दिए
थे,
जिसमें
से
186
को
लागू
कर
दिया
गया।
इसके
अलावा
सरकार
ने
यहां
पर
'निवेश
मित्र'
नाम
का
एक
पोर्टल
लॉन्च
किया
था।
जिसमें
94
प्रतिशत
यानी
करीब
2.3
लाख
एनओसी
को
पिछले
दो
साल
में
जारी
किया
गया
है।
मौजूदा
वक्त
में
यूपी
में
146
सेवाएं
20
विभागों
के
तहत
इस
पोर्टल
के
जरिए
प्रदान
की
जा
रही
हैं।
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फीडबैक
ने
भी
की
मदद
इन्वेस्टर्स
यूपी
की
सीईओ
नीना
शर्मा
ने
इकोनॉमिक
टाइम्स
को
दिए
इंटरव्यू
में
बताया
था
कि
उद्यमियों
से
मिली
18120
शिकायतों
में
से
98
प्रतिशत
का
हल
कर
दिया
गया
है।
भारत
सरकार
की
तरह
यूपी
सरकार
ने
भी
जिलों
के
लिए
बिजनेस
रैंकिंग
को
मई
2020
से
शुरू
कर
दिया।
इसके
अलावा
उद्योमियों
के
फीडबैक
ने
भी
व्यवस्था
सुधारने
में
काफी
मदद
की
है।
पोर्टल
को
जुलाई
तक
62,286
निवेशकों
का
फीडबैक
मिला
था।
जिसमें
से
73%
उपयोगकर्ताओं
ने
सेवाओं
को
संतोषजनक
माना
था।
उत्तर
प्रदेश
टेक्नोलॉजी
के
उपयोग
से
भी
व्यापार
में
पारदर्शिता
लाने
की
कोशिश
कर
रहा
है।