लॉकडाउन में नौकरी से निकाला, खाली पेट, पानी पीकर अंधेरे कमरे में रात गुजराने को मजबूर
नई दिल्ली। 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की तो उन्होंने देशवासियों से निवेदन किया कि वो अपने साथ काम करने वाले लोगों को नौकरी से न निकालें, उनकी सैलरी न काटे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह अपील काम नहीं आ रही है। लॉकडाउन के बीच कंपनियां अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है।
इस लॉकडाउन की वजह से कामकाज ठप है। ऐसे में कंपनियां घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहा है। नोएडा के एक आईटी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर तैनात बिकास त्रिपाठी के लिए मुश्किलें अचानक बढ़ गई है। कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम के दौरान ही उन्हें 10 अप्रैल को नौकरी से निकाल दिया।
लॉकडाउन के बीच नौकरी से निकाला
अचानक
ऐसी
मुश्किल
से
बिकास
हैरान
परेशान
हैं।
उन्हें
समझ
नहीं
आ
रहा
है
कि
वो
अपने
फ्लैट
की
ईएमआई
कैसे
देंगे।
अपनी
बेटी
के
स्कूल
की
फीस
कैसे
भरेंगे।
बिकास
कहते
हैं
कि
उनके
साथ
उनके
कई
साथियों
को
कंपनी
की
ओर
से
ईमेल
भेजकर
ये
सूचित
कर
दिया
गया
और
उन्हें
लॉकडाउन
के
बीच
मुश्किल
में
डाल
दिया
गया
है।
उन्होंने
कहा
कि
कंपनी
के
अधिकारी
न
फोन
उठा
रहे
हैं
और
न
ही
ईमेल
का
जवाब
दे
रहे
हैं।
उन्होंने
लॉकडाउन
की
वजह
से
इमोनॉमी
गिर
चुकी
है,
ऐसे
में
उन्हें
नई
जॉब
मिलना
भी
आसान
नहीं
हैं।
अंधेरे में रात गुजारने को मजबूर
वहीं दिल्ली के रहने वाले रामनरेश गुप्ता एक ई-कॉमर्स कपंनी में काम करते हैं। फरवरी से उन्हें सैलरी नहीं मिली है। अब तक की बचत पर काम चल रहा था, लेकिन अब मुश्किल आ रही है। घर की बिजली चली गई है, क्योंकि वो बिजली बिल नहीं भर पाए। उन्हें कंपनी ने घर से काम करने को कहा, लेकिन 1 अप्रैल के बाद अचानक उन्हें कंपनी ने ईमेल ग्रुप में ब्लॉक कर दिया । वहीं उन्हें ऑफिस के व्हाट्सऐप ग्रुप से बाहर निकाल दिया गया। गुप्ता ने कहा कि वो और उनका परिवार पानी पीकर अंधेरे में रात गुजारने को मजबूर है। उनकी मां बीमार है, लेकिन उनके पास दवाई खरीदने तक का पैसा नहीं है। उनके साथ-साथ कई ऐसे कर्मचारी है जो मुश्किल का सामना कर रहे हैं।
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