महंगाई घटी या महज आंकड़ों का खेल
मुंबई। महंगाई घटने के आंकड़े आए हैं। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि थोक मुद्रास्फीति घटकर 5.19 पर आ गई है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है। क्योंकि बाजार में सब्जियों और खाद्य वस्तुओं के दाम कम नहीं हुए हैं। जिससे सावल उठ रहा है कि वाकई महंगाई घट गई है या महज यह आंकड़ों का खेल है। जिससे भ्रम फेल रहा है। दरअसल, ऐसा कैसे हो सकता है कि राजकोषीय घाटा कम न हो और महंगाई कम हो जाए।
कीमते कम न हो और महंगाई घट जाए। सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि खाद्य उत्पादों, सब्ज्यों और प्रोटीन युक्त पदार्थों की कीमतें घटने के कारण मुद्रास्फिति में गिरावट आई है।
आपको बता दें कि अभी हाल ही एक बैंकिंग संस्था ने भारत को चेतावनी दी थी कि भारतीय अर्थव्यस्था पर संकट मंडरा रहा है। बहस तो सबसे बड़ी यही है कि अनुमान कुछ लगाए जा रहे हैं और महंगाई आंकड़ों में घटती हुई दिखाई जा रही है।
इसका यह हो सकता है कारण
दरअसल, थोक मुद्रा स्फिति में गिरावट आने से खुदरा बाजार में मौजूद वस्तुओं में गिरावट नहीं आ पाती। इसकी वजह थोक खुदरा बाजार में काला बाजार और ग्राहकों में जागरुकता का आभाव है। भले ही थोक बाजार में वस्तुओं के दाम घट जाएं लेकिन खुदरा बाजार में जब ग्राहक उत्पाद खरीदने जाता है तो उसे वह उत्पाद पहले वाली कीमत यानी उसी महंगी कीमत पर ही मिलता है।
कोई नहीं है नियमाक
बाजार में थोक व्यापारियों के मनमाने तरीके से रकम वसूलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के लिए कोई विशेष नियामक या संस्था नहीं है। यदि इस बात की निगरानी की जाने लगे कि वस्तु निर्माण लागत में कमी आई है जिससे थोक बाजार में उत्पाद की कीमत में गिरावट आ सकती है तो थोक व्यापारियों ने इसकी कीमत बाजार कीमत के उतार-चढ़ाव को देखते हुए रखी है या पहले वाली ही वसूली जा रही है।