1.9 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है भारतीय एयरलाइंस का घाटा, रुपए की गिरावट ने बढ़ाई चिंता
नई दिल्ली। मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय एयरलाइंस का कुल घाटा 1.9 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 13,557 करोड़ रुपये) पहुंचने के आसार है। एविएशन कंसल्टिंग फर्म (CAPA) के मुताबिक कम किराए और बढ़ती लागत की वजह से एयर इंडिया और जेट एयरवेट जैसी भारतीय एयरलाइंस का घाटा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। खासकर तेल की कीमतों बढ़ोतरी और रुपए में गिरावट के बाद यह घाटा और ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिगो एयरलाइंस को छोड़कर कोई भी एयरलाइंस का बैलेंस शीट मजबूत नहीं है। घाटे की भरपाई के लिए टिकटों के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं।
सीएपीए की ये रिपोर्ट सरकार और भारतीय एयरलाइंस के लिए नई मुसिबत बन सकती है। क्योंकि वर्तमान में डोमेस्टिक एविएशन मार्केट में भारत दुनिया भर के देशों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कई कंपनियों ने नए एयरबस एसई और बोइंग जेट्स के ऑर्डर दिए हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि करीब 90 प्रतिशत सीटें भरी रहने के बावजूद एयरलाइंस कंपनियों को घाटा सहना पड़ रहा है। जबकि पिछले 4 साल में घरेलू यात्रियों की तादात में दोगुनी से भी ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है।
एयर
इंडिया
के
लिए
कोई
खरीददार
नहीं
इधर
भारत
सरकार
एयर
इंडिया
को
प्राइवेट
हाथों
में
देना
चाहती
है
लेकिन
खरीदने
वाला
ही
कोई
नहीं
मिल
रहा
है।
इसके
लिए
सरकार
ने
जून
में
कहा
था
कि
एयर
इंडिया
के
76
प्रतिशत
स्टेक
की
बोली
के
लिए
कोई
खरीददार
ही
नहीं
आया
है।
वही
जेट
एयरवेज
को
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
अप्रैल-जून
क्वॉर्टर
में
1323
करोड़
रुपए
का
घाटा
हुआ
है।