गो-मांस का नंबर 1 एक्सपोर्टर बनने जा रहा है भारत!
यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की रिपोर्ट के अनुसार बहुत जल्द गो-मांस एक्सपोर्ट करने के मामले में ब्राजील को पछाड़ कर नंबर वन हो जायेगा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूरे भारत में गो-मांस यानी बीफ की खपत प्रति वर्ष 21 लाख टन होता है, जबकि पूरे अमेरिका में साल में 1.15 करोड़ टन गो-मांस खाया जाता है।
यहां तक पढ़ने के बाद आपमें से अधिकांश के मन में आया होगा कि गो-मांस के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा देना चाहिये, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो भारत को होने वाली बड़ी आय बंद हो जायेगी। हर साल 3.2 बिलियन डॉलर की कमाई गो-मांस के निर्यात से होती है। यह आय निरंतर बढ़ रही है। 2010 में 1.9 बिलियन डॉलर की आय हुई थी और अगले दो वर्षों में यह बढ़कर 4.5 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। हम आपको बता दें कि इस गो-मांस में गाय और भैंस दोनों के मांस शामिल हैं।
लाइसेंस 1200 का, काट दिये जाते हैं 3000 भैंसे और गाय भी
जब दूध देना बंद कर देती हैं भैंसे
उन्नाव के रहीम कुरैशी बताते हैं कि दूध का कारोबार करने वाले लोग अपनी गाय-भैंसों को तब बेच देते हैं, जब वो दूध देना बंद कर देती हैं। दूध नहीं देने वाली भैंसे कम दामों में बिक जाती हैं, लिहाजा भैंसों के मांस का व्यापार करने वाले की कमाई का स्कोप बढ़ जाता है। कुरैशी बताते हैं कि 300 किलो बीफ मीट की कीमत 650 डॉलर यानी 30 से 35 हजार रुपए होती है। एक एग्रो कंपनी के लिये काम करने वाले कुरैशी ने बताया कि 100 से ज्यादा लोग कंपनी को बीफ की सप्लाई करते हैं और वह कंपनी फिर उसकी अच्छी तरह पैकेजिंग करके, व डीप फ्रीजर में डालकर विदेश भेज देती है।
लाइसेंस भैंसे काटने का, कट जाती हैं गाय
अधिकारिक तौर पर देखा जाये तो भारत में गाय को काटना प्रतिबंधित है, लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब नहीं होगा कि तमाम एग्रो प्रॉडक्ट कंपनियां भैंसों के साथ-साथ गायों को भी काट देती हैं। हालांकि ऐसा बड़ी कंपनियों में मो नहीं होता, लेकिन छोटी कंपनियां ज्यादा मुनाफे के चक्कर में ऐसा करती हैं। लेकिन हां एक काम जो बड़ी कंपनियां भी करती हैं, वो यह कि उनके पास एक दिन में 1000 से 1200 भैंसे काटने का लाइसेंस होता है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा बीफ एक्सपोर्ट करने के चक्कर में 2500 से 3000 भैंसे एक दिन में काट दिये जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में कानपुर से 45 किलोमीटर दूर स्थित उन्नाव में ही 14 छोटी-बड़ी एग्रो प्रॉडक्ट की कंपनियां हैं, जिनकी वर्कशॉप उन्नाव में हैं। जरा अगर एक कंपनी एक दिन में औसतन 2500 भैंसे काट देती है, तो सिर्फ उन्नाव में ही 25 से 30 हजार भैंसे प्रति दिन काट दिये जाते हैं। एग्रो कंपनी में कार्यरत संजय मलिक (नाम बदला हुआ) ने वनइंडिया से बातचीत में बताया कि चूंकि महंगाई लगातार बढ़ रही है और सैलरी बढ़ाने की कर्मचारियों की डिमांड हमेशा बनी रहती है, लिहाजा कंपनियां सरकारी नियमों के आगे जाकर भैंसे काटती हैं।
संजय मलिक ने बताया कि कई कंपनियों के स्लॉटर हाउस में चोरी छिपे गाय काटी जाती हैं, क्योंकि दूध नहीं देने वाली बूढ़ी गाय भैंसों की तुलना में सस्ती मिल जाती हैं। लेकिन जब कोई इंस्पेक्शन होता है, तो गायों को हटा दिया जाता है। गाय और भैंसों में अंतर की बात करें, तो एक बार खाल उतर जाने के बाद कोई अंतर नहीं होता, लिहाजा गाय की खाल उतारने के बाद तुरंत ही उनके ऊपर के बाल आग से जला दिये जाते हैं। जलने के बाद खाल काली पड़ जाती हैं। ऐसी कंपनियां उन्नाव में ही स्थित चमड़ा बनाने वाली फैक्ट्रियों को सस्ते दामों में बेच देती हैं। एक बार खाल चमड़ा बनाने वाली मिल में चली गई, तब केमिकल ट्रीटमेंट के बाद कोई फर्क नहीं बता सकता है।
नोट- इस खबर की शुरुआत में दिये गये आंकड़े न्यूज वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट से लिये गये हैं।