कोरोना कहर का असर, 8 सालों के निचले स्तर पर GDP रहने की संभावना
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। देशभर में चौथी बार लॉकडाउन को बढ़ाया गया। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में 31 मई तक लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन के कारण कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं कोरोना वायरस से देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है। कई रिपोर्टस सामने आ चुके हैं, जिसके कोरोना के कारण इकोनॉमी की बुरी स्थिति और संघर्ष को लेकर जिक्र किया गया है।
रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से मार्च महीने की तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था निचले स्तर पर पहुंच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से मार्च तिमाही में देश का न्यूनतम ग्रोथ रेट 8 सालों के न्यूनतम स्तर पर रहने की संभावना है। साल 2012 के बाद साल 2020-21 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट कम रहने की संभावना जताई जा रही है। इस तिमाही की आर्थिक ग्रोथ पर कोरोना वायरस महामारी का असर पड़ है, जिसकी वजह से जीडीपी को झटका लगा है। रॉयटर्स के सर्वे से यह बात सामने आई है।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां भी ठप पड़ गई। जिसका असर अब ग्रोथ रेट पर दिखने लगा है। जानकारों के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था मार्च महीने में 2.1 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही थी, जो साल 2012 कसे कम है।