अगले साल भारत 9.5 फीसदी की रफ्तार से करेगा विकास: फिच रेटिंग्स
नई दिल्ली। कोरोना संकट की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था जोरदार वापसी करेगी। फिच रेटिंग्स एजेंसी ने दावा किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले साल जबरदस्त वापसी करते हुए 9.5 फीसदी की दर से विकास करेगी। बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था जो पहले से ही कमजोर थी, उसने इसे और बड़ा झटका दिया था। फिच रेटिंग्स का अनुमान है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 5 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी।
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पटरी पर लौटेगी अर्थव्यवस्था
फिच रेटिंग्स की ओर से कहा गया है कि महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका दिया है, जिसकी वजह से लोगों पर कर्ज काफी अधिक बढ़ गया है। वैश्विक मंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट सकती है और बीबीबी श्रेणी से भी आगे जा सकती है, बशर्ते भारत वित्तीय क्षेत्र में और गिरावट ना आने दे, जोकि कोरोना के चलते स्वास्थ्य के क्षेत्र में देखने को मिली है। बता दें कि भारत ने 25 मार्च को दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन किया था, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था। लॉकडाउन को लगातार चार बार बढ़ाया गया, हालांकि 4 मई के बात इसमे कुछ राहत देने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन बावजूद इसके संक्रमण कम नहीं हुआ।
राहत पैकेज
देश की अर्थव्यवस्था को मदद पहुंचाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव किया था और रेट में कटौती की थी, ताकि बाजार में लिक्विडिटी बढ़े। बैंकों की लोन देने की क्षमता को भी बढ़ाया गया और उन्हें काफी राहत मुहैया कराई गई। फिच रेटिंग्स एजेंसी का कहना है कि सरकार ने जीडीपी का 10 फीसदी के राहत पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन इसमे से सिर्फ एक फीसदी जीडीपी का हिस्सा ही राजकोषीय घटक था।
वर्ल्ड बैंक का अनुमान
इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 3.2 फीसदी कमी आने का अनुमान जताया था। वर्ल्ड बैंक ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट 'ग्लोबल इकॉनमिक प्रोस्पेक्ट्स' में ये अनुमान जाहिर किया था। इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 3.2 फीसदी का संकुचन आएगा। वर्ल्ड बैंक ने भारत के लिए ग्रोथ रेट अनुमान कम करते हुए कहा है कि भारत की ग्रोथ रेट के 2019-20 वित्त वर्ष में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 में आउटपुट में 3.2 फीसदी का संकुचन आएगा।