IMF ने आर्थिक मंदी पर भारत को चेताया, कहा- जल्द बड़े कदम उठाने की जरूरत
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने सोमवार को कहा कि भारत को मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को उभारने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूर है। भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक विकास के इंजनों में से एक रही है। आईएमएफ ने अपनी सालाना समीक्षा में कहा कि खपत और निवेश में गिरावट, कर राजस्व में गिरावट, ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक पर ब्रेक लगाने का काम किया है।
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अन्य कारक भी शामिल
इसमें अन्य कारक भी शामिल हैं। आईएमएफ एशिया और पैसिफिट विभाग के रानिल सालगाडो ने कहा, 'लाखों को गरीबी से बाहर लाने के बाद भारत अब आर्थिक मंदी के बीच है। वर्तमान मंदी को दूर करने और उच्च विकास पथ पर लौटने के लिए भारत को तत्काल नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।' हालांकि सरकार के पास विकास हेतु खर्च को बढ़ावा देने के लिए सीमित विकल्प हैं। विशेष रूप से उच्च ऋण स्तर और ब्याज भुगतान को देखते हुए।
गीता गोपीनाथ ने क्या कहा था?
इससे एक हफ्ते पहले आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि आईएमएफ जनवरी में भारत की वृद्धि के अपने अनुमान में उल्लेखनीय कमी कर सकता है। भारत में जन्मी गोपीनाथ ने इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा था कि संस्थान ने इससे पहले अक्टूबर में अनुमान जारी किया था और जनवरी में इसकी समीक्षा करेगा। भारत ही एकमात्र उभरता हुआ बाजार है, जो इस तरह आश्चर्यचकित कर सकता है।
भारत का विकास दर अनुमान
उन्होंने कहा था, 'आप हाल में आने वाले आंकड़ों पर गौर करेंगे, हम अपने आंकड़ों को संशोधित करेंगे और जनवरी में नए आंकड़े जारी करेंगे। इसमें भारत के मामले में उल्लेखनीय रूप से कमी आ सकती है।' हालांकि, उन्होंने कोई आंकड़ा बताने से इनकार कर दिया था। गोपीनाथ ने कहा था कि अगर सरकार को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करना है तो उसे अपने मजबूत बहुमत का इस्तेमाल भूमि और श्रम बाजार में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहिए। इससे पहले अन्य एजेंसियां भी भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं।
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