सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी, वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से मांगी लिस्ट
नई दिल्ली। केंद्र ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 21 सरकारी बैंकों में से उन बैंकों के नामों की लिस्ट तैयार करने को कहा है, जिनका मर्जर किया जा सकता है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ इस महीने एक मीटिंग की थी, जिसमें मर्जर के लिए टाइम फ्रेम को लेकर भी सुझाव मांगा गया। केंद्र सरकार कर्ज के बोझ तले दबे बैंकों को मजबूत बनाने के लिए मर्जर के विकल्प को बेहतर मान रही है। यही वजह है कि इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया जा रहा है।
साल 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में 6 सहयोगी बैंकों का विलय किया गया। इनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और भारतीय महिला बैंक के नाम शामिल हैं।
एनपीए की चुनौती बैंकों के सामने लगातार बढ़ती जा रही है। देश की बैंकिंग व्यवस्था का कुल एनपीए 10 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है, जिसमें सरकारी बैंकों कि हिस्सेदारी 8.9 लाख करोड़ रुपये है।
दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बैड लोन्स के मामले में इटली के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। सरकारी बैंकों के पास 90 प्रतिशत नॉन परफॉर्मिंग लोन हैं। इससे भी ज्यादा हैरत की बात यह है कि 21 सरकारी बैंकों में से 11 इमरजेंसी प्रोग्राम के तहत ऑपरेट हो रहे हैं। ऐसे में सरकारी बैंकों को मजबूत करना बेहद जरूरी हो गया है।
सरकारी बैंकों के पास डिपॉजिट भी नहीं आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में करीब 70 प्रतिशत डिपॉजिट प्राइवेटट बैंकों के पास चले गए। सरकारों के उदासीन रवैये के चलते बैंक सरकारों पर काफी हद तक निर्भर हो गए हैं। ऐसे में सरकारी बैंकों के हाथ मजबूत करने की जरूरत अब काफी बढ़ गई है।