जीडीपी पर कोरोना वायरस की मार, इस साल 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान
नई दिल्ली। भारत सरकार का अनुमान है कि इस साल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 4.5 प्रतिशत पर रहेगी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि इस साल अप्रैल में लगाए गए पुर्वानुमान से 6.4 प्रतिशत प्वाइंट कम है। कोरोना संकट और लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर काफी खराब असर होने की बात रिपोर्ट में कही गई है। चालू वित्त वर्ष में अब तक राजस्व प्राप्तियों में साल-दर-साल आधार पर 68.9 प्रतिशत की गिरावट की बात रिपोर्ट में बताई गई है।
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कोरोना का पड़ रहा प्रभाव
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने अपनी व्यापक आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ एक वैक्सीन ना आने की वजह से एक अनिश्चितता बनी हुई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती है। रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के दौरान देश का निर्यात बढ़ा है। इस दौरान महंगाई दर कोरोना के अनुरूप रहेगी। रिपोर्ट सरकार के संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक कल्याण उपायों से अर्थव्यवस्था के सुधार में मदद मिलेगी।
आईएमएफ ने भी कही सुस्ती की बात
बीते महीने जून में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की अर्थव्यवस्था के अगले दो वर्षों में बमुश्किल एक फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़न की बात कही है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है का दो वर्षों तक भारत की विकास की रफ्तार तकरीबन एक या उससे थोड़ी अधिक रह सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश की आर्थिक गतिविधधियों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
RBI ने भी जताई चिंता
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि भारत ने बीते वित्त वर्ष की चौथी जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.1 प्रतिशत के बराबर या 60 करोड़ डॉलर का चालू खाते का अधिशेष दर्ज किया है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में भारत ने जीडीपी के 0.7 प्रतिशत या 4.6 अरब डॉलर का चालू खाते का घाटा (कैड) दर्ज किया था। पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी के 0.9 प्रतिशत इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में चालू खाते में जीडीपी के 2.1 प्रतिशत के बराबर घाटा दर्ज किया गया था। मार्च तिमाही और पूरे वित्त वर्ष में चालू खाते की स्थित में सुधार की प्रमुख वजह से व्यापार घाटा कम होना है।
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