Good News:अगले 2-3 वर्षों में विदेशी निवेश के लिए पहले 3 विकल्पों में भारत, सर्वे में बताए गए ये कारण
नई दिल्ली- एक सर्वे से पता चला है कि आने वाले 2-3 वर्षों में भारत विदेशी निवेश के लिए दुनिया में पहले 3 विकल्प के रूप में उभरेगा। सीआईआई-ईवाई एफडीआई की सर्वे रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है। सर्वे के मुताबिक दो-तिहाई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भविष्य में भारत पहला विकल्प होगा। जबकि, जिन एमएनसी के हेडक्वार्टर भारत से बाहर हैं, उनमें भी 25 फीसदी के लिए भविष्य में भारत निवेश के लिए पहला विकल्प बनने जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वे में शामिल कंपनियों में 80 फीसदी कंपनियां और 71 फीसदी वो कंपनियां जिनके भारत में हेडक्वार्टर नहीं हैं, वह आने वाले 2-3 वर्षों में दुनिया भर में निवेश की योजनाएं बना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, '30 फीसदी कंपनियां 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा ज्यादा के निवेश की योजना बना रही हैं। 50 फीसदी कंपनियां भारत को टॉप 3 अर्थव्यवस्थाओं में से देखती हैं या 2025 तक दुनिया की लीडिंग मैन्यूफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में देखती हैं।' इसके अनुसार, 'सर्वे में शामिल सभी कंपनियों में से 80 फीसदी से ज्यादा कंपनियां और जिन कंपनियों के हेडक्वार्टर भारत में नहीं हैं, उनमें से 71 फीसदी आने वाले 2-3 वर्षो में दुनिया भर में निवेश करने वाली हैं।'
जवाब देने वालों ने भारत को अपना पसंदीदा विकल्प बताने के जो तीन कारण बताए हैं वे हैं- यहां की बाजार क्षमता, स्किल्ड वर्कफोर्स और राजनीतिक स्थिरता। इसके अलावा ये कंपनियां जिस वजह से भारत में निवेश को लेकर आकर्षित हैं, उनमें- सस्ते श्रमिक की उपलब्धता, नीतिगत सुधार और कच्चे माल की उपलब्धता। रिपोर्ट में बताया गया है, 'देश में हाल में जो सुधार किए गए हैं, जैसे कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उपाय, श्रम कानूनों को आसान बनाना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सुधार और ह्यूमैन कैपिटल पर जिस तरह से ध्यान दिया गया है वह नए निवेश के लिए शीर्ष ड्राइवर के रूप में उभरे हैं।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हेडक्वार्टर भारत में नहीं हैं, उनका मत है कि बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश और 100 स्मार्ट सिटी के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र में सुधारों से भारत को एफडीआई के लिए अनुकूल विकल्प के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इसके अलावा सर्वे में जवाब देने वालों से सुझाव भी मांगे गए थे। जिसके मुताबिक वो चाहते हैं कि 'बुनियादी ढांचे का विकास, तेजी से क्लीयरेंस और बेहतर श्रम कानूनों और श्रमिकों की उपलब्धता को ठीक तरीके से लागू करना तीन प्राथमिकताएं है; और कंपनियां चाहती हैं कि सरकार इनपर ध्यान दे, इसके बाद रिसर्च एंड डेवलपमेंट और इनोवेशन के साथ ही टैक्स रिफॉर्म पर भी फोकस करे।' निवेशक ट्रेड पॉलिसी रिफॉर्म के साथ-साथ बेहतर कार्गो सेवाएं और ट्रेड से जुड़े अन्य उपायों में भी सुधार की उम्मीदें कर रहे हैं।
जाहिर है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत इस समय जितने दबाव में चल रहा है और कंपनियां संकटों की दौर से गुजर रही हैं, उसमें यह सर्वे बेहद उत्साहित करने वाला है। खासकर तब जब सैकड़ों विदेशी-कंपनियां पहले से ही चीन से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर भारत जैसे तेजी से बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था वाले देशों की ओर रुख कर रही हैं।
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