आयात लाइसेंसिंग से त्योहारी सीजन में धाराशाई हो सकता है इंडियन टीवी इंडस्ट्री का कारोबार
नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में आयातित टीवी पर उठाए गए कदम से भारतीय टीवी कारोबारियों के त्योहारी सीजन पर असर दिखना शुरू हो गया है। सरकार ने चीन जैसे देशों से कलर टेलीविजन के आयात लाइसेंस पर रोक लगाने से हजारों टीवी सेट्स पोर्ट पर अटके पड़े हैं। सरकार द्वारा यह कदम घरेलू उत्पादन बढ़ाने और गैर-जरूरी उत्पादों के आयात में कमी लाने के मकसद से उठाया गया था, लेकिन इस कदम ने त्योहारी सीजन में भारतीय टीवी मेकर्स और कारोबारियों का भट्ठा बैठा सकती है।
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21,000 से अधिक लार्जस्क्रीन टेलीविजन सेट बंदरगाहों में अटके हुए हैं
इलेक्ट्रानिक उद्योग से जुड़े तीन अधिकारियों ने मुताबिक आयातित टीवी लाइसेंसिंग में बदलाव के चलते 21,000 से अधिक लार्जस्क्रीन टेलीविजन सेट भारत के बंदरगाहों में अटके हुए हैं। इनमें नामचीन इलेक्ट्रानिक उपकरण बनाने वाली विदेशी कंपनी सैमसंग, एलजी, सोनी और टीसीएल कंपनी के टेलीविजन शामिल हैं, जिन्हें हासिल करने के लिए आयात लाइसेंस उन्हें चाहिए।
भारत में आयातित टीवी ब्रांड सैमसंग की भागीदारी लगभग 35 फीसदी है
अधिकारियों ने बताया कि आयातित टेलीविजन लाइसेंसिंग पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम से सबसे बड़े टेलीविजन ब्रांड सैमसंग इंडिया पर असर डाल सकता है, क्योंकि वर्तमान में बिक्री होने वाले आयातित टेलीविजन ब्रांड सैमसंग की भागीदारी लगभग 35 फीसदी है।
जुलाई में टीवी सेटों पर आयात प्रतिबंधों का नोटिफिकेशन जारी किया गया
सरकार ने गत 30 जुलाई को टीवी सेटों पर आयात प्रतिबंधों को फिर से नोटिफिकेशन जारी किया था और 20 साल में पहली बार टेलीविजन आयात को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था, ताकि स्थानीय विनिर्माण को (आत्मनिर्भर भारत) का बढ़ावा दिया जा सके।
कंपनियों को तत्काल प्रभाव से TV आयात करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ा
कंपनियों को तत्काल प्रभाव से टेलीविज़न आयात करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ा। सैमसंग, टीसीएल और सोनी जैसी कंपनियों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, लेकिन उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कब मिलेगा, इस बारे में बहुत स्पष्टता नहीं है।
देश में लगभग 35 फीसदी टेलीविजन सेट आयात किए जाते हैं
देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले लगभग 35 फीसदी टेलीविजन सेट आयात किए जाते हैं। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि लाइसेंसिग नियम के कारण त्योहारी सीजन में ब्रांडों की सूची की योजना बर्बाद हुई है, जबकि खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि उनके पास आयातित टीवी का स्टॉक खत्म हो गया है।
टेलीविजन की उपलब्धता को लेकर पर कोई स्पष्टता नहीं हैंः विजय सेल्स
मुंबई और नई दिल्ली में एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल चेन विजय सेल्स के निदेशक नीलेश गुप्ता ने कहा कि उपलब्धता को लेकर पर कोई स्पष्टता नहीं हैं, जिससे सैमसंग, एलजी और सोनी के 55 इंच और उससे अधिक के सेट की भारी कमी है। सोनी इंडिया के टेलीविजन बिजनेस हेड रणविजय सिंह ने कहा कि इसके लाइसेंस आवेदन पर कार्रवाई की जा रही है। हालांकि उन्होंने बंदरगाहों पर स्टॉक के अटकने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि लगभग 99 फीसदी सोनी टीवी भारत में निर्मित हैं और कंपनी फेस्टिव सीजन के लिए पूरी तरह तैयार है।
TCL ने अधिसूचना के बाद टीवी सेट की घरेलू असेंबली की योजना बनाई है
टीसीएल इंडिया के महाप्रबंधक माइक चेन ने कहा कि वह अपने लाइसेंस आवेदन पर प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने अधिसूचना के बाद टीवी सेट की घरेलू असेंबली की योजना बनाई है और त्योहारी सीजन के दौरान ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय फैक्ट्री की साझेदारी के पर्याप्त आपूर्ति की योजना बनाई है।
रातोंरात इस तरह की अधिसूचना ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया
इलेक्ट्रानिक उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लाइसेंस प्राप्त करना आसान नहीं हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि की रातोंरात इस तरह की अधिसूचना ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया है। उनका मानना है कि इस तरह के छोटे नोटिस में शिफ्टिंग उत्पादन संभव नहीं है और प्रीमियम मॉडल के लिए इसका कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बाजार अभी भी छोटा है। वहीं, टीवी पैनल की वैश्विक कमी के कारण 32-43 इंच के टेलीविजन सेट भी हिट हुए हैं।
25,000 करोड़ रुपए के बाजार में 55 इंच TV की 15-20% हिस्सेदारी है
लॉयड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि अरोड़ा ने कहा कि पैनल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, लेकिन जब तक पैनल की आपूर्ति की स्थिति में सुधार नहीं होता, टेलीविजन की उपलब्धता और कमी दिवाली तक बढ़ जाएगी। उद्योग के अनुमानों के अनुसार 55 इंच प्लस टीवी सेट, जिनकी कीमत 1 लाख रुपए से अधिक है, उनकी 25,000 करोड़ रुपए के भारतीय टीवी बाजार का लगभग 15-20 फीसदी हिस्सेदारी है। बड़ी कंपनियां स्थानीय स्तर पर इन इकाइयों का निर्माण करते समय ज्यादातर आयात करती हैं। इसके अलावा, कुछ छोटे, ऑनलाइन केंद्रित ब्रांड, साथ ही चीनी कंपनियां पूरा पोर्टफोलियो का आयात करती हैं।