कोरोना इफेक्ट: सदी की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है दुनिया: IMF
नई दिल्ली. आईएमएफ की निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2020 में दुनिया के 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटेगी। जॉर्जिवा ने अगले सप्ताह होने वाली आईएमएफ और विश्वबैंक की बैठक से पहले 'संकट से मुकाबला: वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकताओं' विषय पर अपने संबोधन में कहा कि आज दुनिया ऐेसे संकट से जूझ रही है जो उसने पहले कभी नहीं देखा था। कोविड-19 ने हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को काफी तेजी से खराब किया है। ऐसा हमने पहले कभी नहीं देखा था। जॉर्जिवा ने कहा कि इन सबके बीच एक अच्छी खबर यह है कि सभी सरकारें कदम उठा रही हैं। सभी के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिल रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि , वैश्विक ग्रोथ 2020 में तेजी से नकारात्मक हो जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 180 सदस्यों में से 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि, वास्तव में, हम महामंदी के बाद से सबसे खराब आर्थिक गिरावट का हिस्सा बनने वाले हैं। उन्होंने कहा कि, यहां तक कि सबसे अच्छे मामले में भी आईएमएफ को अगले साल केवल आंशिक रिकवरी" की उम्मीद है
उन्होंने कहा कि इस वायरस से लोगों की जान जा रही है और इससे मुकाबले के लिए लॉकडाउन करना पड़ा है जिससे अरबों लोग प्रभावित हुए हैं। कुछ सप्ताह पहले सब सामान्य था। बच्चे स्कूल जा रहे थे, लोग काम पर जा रहे थे, हम परिवार और दोस्तों के साथ थे। लेकिन आज यह सब करने में जोखिम है। जॉर्जिवा ने कहा कि दुनिया इस संकट की अवधि को लेकर असाधारण रूप से अनिश्चित है। लेकिन यह पहले ही साफ हो चुका है कि 2020 में वैश्विक वृद्धि दर में जोरदार गिरावट आएगी।
जनवरी में आईएमएफ ने इस साल 3.3 प्रतिशत की वैश्विक वृद्धि और 2021 में 3.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। लेकिन वह एक अलग दुनिया थी। उन्होंने कहा, हमारा अनुमान है कि हम महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखेंगे। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि सिर्फ तीन महीने पहले हमारा अनुमान था कि हमारे 160 सदस्य देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी। अब सब कुछ बदल गया है। अब 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटने का अनुमान है। महामंदी को दुनिया की अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर के रूप में जाना जाता है। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक पाबंदियां लगाई गई हैं, जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंच रही है।
जॉर्जिवा ने कहा कि विशेषरूप से खुदरा, होटल, परिवहन और पर्यटन क्षेत्र इससे प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों में अधिकांश श्रमिक या तो स्वरोजगार में लगे हैं या लघु एवं मझोले उपक्रमों में कार्यरत हैं। इस संकट से ऐसी कंपनियां और श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि अफ्रीका, लातिनी अमेरिका और एशिया के एक बड़े हिस्से के उभरते बाजार और कम आय वाले देशों में जोखिम काफी अधिक है। सबसे पहले उनकी स्वास्थ्य प्रणाली काफी कमजोर है।
जॉर्जिवा ने कहा कि संसाधनों की कमी की वजह से सबसे पहले उन्हें मांग-आपूर्ति के झटकों से जूझना होगा। इसके अलावा उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित होगा। इसके अलावा उनपर कर्ज का बोझ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो माह के दौरान उभरते बाजारों से पोर्टफोलियो निकासी करीब 100 अरब डॉलर रही है। जिंस निर्यातकों को दोहरा झटका लग रहा है। जिंस के दाम नीचे आ चुके हैं, प्राप्ति नहीं हो रही। कई देशों में गरीबों को जीवन इससे प्रभावित होगा।
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