रूस-यूक्रेन संकट के चक्कर में गुजरात के हीरा उद्योग को बड़ा झटका, जानिए क्या हुआ ?
सूरत, 20 मई: रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सूरत के हीरा कारोबार पर बहुत ही बड़ी मार पड़ी है। यह शहर हीरे की कटाई और उसपर पॉलिश के लिए जाना जाता है, लेकिन लड़ाई की वजह से कच्चे हीरे का सप्लाई चेन बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। हालत ये है कि सूरत में हीरे की बड़ी फैक्ट्रियों ने हफ्ते के कामकाजी दिन घटा दिए हैं। सबसे बड़ा संकट तो छोटे उद्योगों पर आया है, जिन्होंने कुछ समय के लिए इसमें काम ही बंद कर दिया है। हीरा मजदूरों ने वित्तीय सहायता के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई है। दरअसल, मुंबई और सूरत में कच्चे माल के तौर पर जो हीरा आता है, उसमें से एक बड़ा हिस्सा रूस से ही आयातित हीरे का होता है, लेकिन अमेरिकी पाबंदियों के चलते पूरी सप्लाई चेन ही टूट चुकी है।

सूरत के हीरा कारोबार पर रूस-यूक्रेन युद्ध की मार
रूस-यूक्रेन संकट की वजह से सूरत के हीरा उद्योग पर आई मुश्किल के बारे में जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के रीजनल चेयरमैन दिनेश नवाडिया ने कहा है,'सूरत के हीरा उद्योग पर रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव दिख रहा है। रूस से होकर हर महीने करीब 1.75 लाख कैरेट कच्चा माल आयात होता था। अब कोई कच्चा माल उपलब्ध नहीं है। अलरोसा (रूस) से आयात होकर आने वाला 30 से 35 फीसदी कच्चा हीरा सीधे सूरत और मुंबई के भारतीय बाजारों तक कटाई और पॉलिश के लिए आता है।'

1,800 करोड़ डॉलर का कारोबार प्रभावित
नवाडिया के मुताबिक, 'रूसी हीरे आमतौर पर छोटे होते हैं, जिसकी मात्रा भारत के हीरा कारोबार में 40 फीसदी है और मूल्य के हिसाब से करीब 30 प्रतिशत होती है। यूक्रेन के साथ युद्ध के चलते इसके 1,800 करोड़ डॉलर का कारोबार प्रभावित हुआ है। अमेरिकी पाबंदियों से पहले जो रूसी कच्चा माल भारत भेजा जा चुका था, उसका स्टॉक भी अब खत्म ही होने वाला है।'

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हीरा मजदूरों ने मुख्यमंत्री से मांगी सहायता
4 मई को गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन के सूरत यूनिट ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक ज्ञापन भेजकर हीरा कामगारों को वित्तीय सहायता देने की मांग की थी। गौरतलब है की रूस ने 24 अप्रैल, 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया था। इसके बाद अमेरिका ने रूस से निर्यात होने वाली कई चीजों पर अप्रैल के मध्य में प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन, अब इसके चलते हीरा उद्योग से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो चुका है।