सरकार ने जारी किए नए बचत बॉन्ड्स, 10 जनवरी से खरीद सकते हैं आप
नई दिल्ली। भारत सरकार ने गुरुवार को नागरिकों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) को किसी भी मौद्रिक सीमा के बिना, कर योग्य बॉन्ड में निवेश करने के लिए 7.75 प्रतिशत बचत बॉन्ड शुरू करने की घोषणा की है। 10 जनवरी, 2018 से शुरू होने के बाद ये बॉन्ड व्यक्तियों द्वारा निवेश के लिए खुले हैं, जिसमें संयुक्त होल्डिंग्स और हिंदू अविभाजित परिवारों शामिल हैं। हालांकि, एनआरआई इन बॉन्ड में निवेश करने के लिए पात्र नहीं हैं। प्रति बॉन्ड 100 रुपए में जारी किए गए हैं।
ये बॉन्ड न्यूनतम राशि 1,000 रुपए के लिए जारी किया जाएगा जो इसकी फेस वैल्यू होगी। ऐसे में सभी के लिए इसकी कीमत 1,000 रुपए होगी। वित्त मंत्रालय ने यह भी ऐलान किया है कि बॉन्ड केवल एक डिमॅट फॉर्म (बॉन्ड लेजर अकाउंट) में जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, बचत बॉन्ड में सात साल की परिपक्वता होगी और प्रतिवर्ष 7.75 प्रतिशत पर ब्याज मिलेगा, जो अर्ध-वार्षिक देय होगा। इसलिए 1,000 रुपए की सात साल बाद बढ़ा हुआ मूल्य 1,703 रुपए होगी
सरकार ने किया था खबरों को खारिज
इससे पहले सरकार की ओर से उन खबरों को खारिज किया गया था जिसमें यह कहा जा रहा था कि 8 फीसदी वाले सेविंग बॉन्ड स्कीम बंद हो रहे हैं। सरकार की ओर से कहा गया था कि 8 फीसदी वाले बॉन्ड्स को 7.75 फीसदी की ब्याज वाले बॉन्ड्स से रिप्लेस कर रही है। दावा किया गया था कि वित्त मंत्रालय ने 8% बचत (कर योग्य) बॉन्ड , 2003 को इसी साल जनवरी से बंद कर दिया जाएगा।
आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा था...
हालांकि आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्विटर पर स्पष्टीकरण दिया था। उन्होंने कहा कि '8% बचत बांड योजना, जिसे आरबीआई बांड योजना के रूप में भी जाना जाता है, बंद नहीं किया जा रहा है। 8% योजना की जगह 7.75% बचत बांड योजना लाई जा रही है।' इन बॉन्ड्स को RBI बॉन्ड के नाम से भी जाना जाता है।
कांग्रेस नेता ने किया विरोध
सरकार के इस फैसले पर पूर्व वित्त मंत्री पलनिअप्पन चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने 8% कर योग्य बॉन्ड्स को बंद कर मध्य वर्ग को गंभीर झटका दिया है। जोखिम-प्रतिकूल से नागरिक कैसे बचेंगे? सरकार का अपने नागरिकों को बचत के लिए एक सुरक्षित और जोखिम मुक्त साधन प्रदान करने का कर्तव्य है। क्या सरकार लोगों को शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कह रही ही है? किसके लाभ के लिए? यह सरकार को समझाना चाहिए।'