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Ola-Uber कैब में सफर करने वालों को झटका, किराए में तीन गुना बढ़ोतरी की तैयारी

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नई दिल्ली। अगर आप ऐप आधारिक कैब सर्विस Ola-Uber का इस्तेमाल करते हैं तो ये खबर आपके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। आपको अब ओला-ऊबर से कैब बुक करने के लिए तीन गुना किराया देना पड़ सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने अधिक मांग वाली अवधि में ऊबर और ओला जैसे कैब ऐग्रिगेटर्स को बेस फेयर से तीन गुना अधिक किराया लेने की इजाजत दे दी है। मतलब अब पीक आवर्स में अब आपको बेसिक फेयर से तीन गुना ज्यादा किराया चुकाना पड़ सकता है।

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 ओला-ऊबर से सफर करना हुआ महंगा

ओला-ऊबर से सफर करना हुआ महंगा

केंद्र सरकार ने ओला-ऊबर को पीक ऑवर में बेसिक फेयर से तीन गुना अधिक किराया लेने की इजाजत दे दी है। सरकार के इस फैसले से आपको अब ओला-ऊबर कैब में सफर करने के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे। सरकार ने इस इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाने की बात भी कही है। नए नियमों के तहत अब कैब सर्विस देने वाली कंपनियां ग्राहकों से सर्ज प्राइसिंग के तहत तीन गुना अधिक किराया ले सकती है। उन्हें नियमों का पालन करते हुए बाकी दूसरे दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

 क्या होती है सर्ज प्राइसिंग

क्या होती है सर्ज प्राइसिंग


कैब सर्विस देने वाली कंपनियों के लिए डिमांड-सप्लाई की सिचुएशन पर उसकी सर्ज प्राइसिंग जुड़ी रहती है। दिसंबर 2016 से ही उनका से प्रस्ताव था। इसी प्रस्ताव के दिशानिर्देशों के मुताबिक अब कैब कंपनियों के लिए पॉलिसी निर्धारित होगी, जिसके तहत सर्ज प्राइसिंग पर तस्वीर साफ की जाएगी और इसकी अधिकतम सीमा भी निर्धारित की जाएगी।

 क्या है ओला-ऊबर कैब के लिए नियम

क्या है ओला-ऊबर कैब के लिए नियम


हाल ही में सरकार ने मोटर व्हीकल (अमेंडमेंट) बिल, 2019 पास किया है, जिसके बाद कैब ऐग्रिगेटर्स के लिए इन नियमों का प्रस्ताव लाया जा रहा है। इस नियम के तहत पहली बार कैब ऐग्रिगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी माना गया है। आपको बता दें कि इससे पहले इन कंपनियों को अलग से कोई पहचान नहीं दी गई थी। इसी वजह से ओला-ऊबर ग्रे जोन में काम कर रही थीं। अब नए नियम देशभर में लागू होगा, हालांकि राज्यों के पास इनमें बदलाव करने का भी अधिकार होगा।

 कर्नाटक पहला राज्य

कर्नाटक पहला राज्य


रिपोर्ट के मुताबिक देश में कैब ऐग्रिगेटर्स को रेगुलेट करने वाला पहला राज्य कर्नाटक है। यहां ओला-ऊबर जैसी कैब कंपनियों ने सरकार के आदेश पर अपने ऐप पर पहले ही न्यूनतम और अधिकतम किराया तय किया हुआ है। उसने गाड़ी की कीमत के आधार पर इसके स्लैब तय किए हैं। आपको बता दें कि हाल ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी माना कि कैब सर्विस की वजह से देश के ऑटो सेक्टर पर असर पड़ा है। आज कैब कंपनियां देश के शहरी यातायात का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं। खासतौर पर बड़े मेट्रो शहरों में कैब सर्विस की सबसे ज्यादा मांग है।

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English summary
Apart from a cap on price hikes, the regulations that will be framed could be in line with those proposed in December 2016.
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