बढ़ेंगे BSNL-MTNL के कॉल रेट, क्योंकि इन्हें बेचने की तैयारी में है सरकार
नई दिल्ली (विवेकशुक्ला)। अगर आप बीएसएनएल या एमटीएनएल के उपभोक्ता हैं, तो मोबाइल, लैंडलाइन या फिर इंटरनेट के लिये ज्यादा पैसा देने के लिये तैयार हो जाइये, क्योंकि बहुत जल्द इन कंपनियों के कॉल रेट बढ़ने वाले हैं। ऐसा इसलिये क्योंकि दोनों कंपनियां प्राइवेट सेक्टर के हाथों में जाने वाली हैं। लगातार घाटा खा रही सरकारी क्षेत्र की कंपनियां जैसे बीएसएनएल, एमटीएनएल कंपनियों को सरकार बेच सकती है।
सरकार का मानना है कि वह इस तरह की कंपनियों को चलाने के लिए तैयार नहीं है। इस सूची में एचएमटी भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि सरकार कई मामलों को देख रही है, जहां निजीकरण की जरूरत है। कुछ सरकारी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हैं। इनके निजीकरण पर गंभीरता से फैसला चल रहा है।
तैयार निजीकरण के लिए
दरअसल सरकार घाटे में चल रहीं सरकारी कंपनियों के निजीकरण के लिए तैयार हैं। अब वह इस बाबत इनके मजदूर संघों से मुकाबला करने का भी मन चुकी है। जानकारों का कहना है कि सरकार सरकारी कंपनियों को बेचने का मन बना चुकी है। अब उसे सही वक्त का इंतजार है,जब वह अपनी तरफ से आगे की कार्रवाई करे। सरकार को लगता है कि इन कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने से इनके दिन सुधर सकते हैं।
बेशक,बहुत सी सरकारी कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं। अगर उन्हें अभी की तरह चलाया जाता रहा तो इसमें काम करने वालों की नौकरी जाने का खतरा बना रहेगा। इससे बचने के लिए निजीकरण सही रास्ता हो सकता है।
जानकारी के मुताबिक, मार्च 2013 तक करीब 50 सरकारी कंपनियां पिछले 3 साल से लॉस में बनी हुई थीं। इस बीच, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी राजधानी में चल रहे विश्व इक्नोमिक फोरम की बैठक में घाटा खा रही कंपनियों को प्राइवेट सेक्टर को बेचने के संकेत दिए। जेटली ने रेलवे में प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट को और बढ़ावा देने, लैंड एक्विजिशन लॉ में बदलाव करने और माइनिंग एवं मिनरल्स की नीलामी वाले सिस्टम की बात कही।
उन्होंने कहा, 'अगर एक बड़ा आइडिया गलत साबित होता है तो उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन ऐसी ही गलती थी, जिससे इकनॉमी को काफी नुकसान हुआ।' इस बीच, जानकारों का कहना है कि घाटा खा रही सरकारी कंपनियों को खरीददार मजे से मिल जाएंगे क्योंकि इनके पास खूब लैंड है। कोई नया खरीददार लैंड को बहुत महत्व देता है।