भारती एयरटेल के 923 करोड़ रुपए के GST रिफंड मामले में सुप्रीम कोर्ट गई सरकार
नई दिल्ली। सरकार अब दिल्ली उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है, जिसमें हाईकोर्ट ने भारती एयरटेल को पहले से दायर जीएसटी रिटर्न को सुधारते हुए 923 करोड़ रुपए के रिफंड का दावा करने की अनुमति दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट की दो-न्यायाधीश पीठ ने 5 मई को सुनील मित्तल के नेतृत्व वाले दूरसंचार प्रमुख को जुलाई-सितंबर 2017 की अवधि के लिए जीएसटी रिफंड लेने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट ने सरकार को अतिरिक्त जीएसटी दावे को सत्यापित करने का निर्देश दिया था और दो सप्ताह के भीतर भारती एयरटेल को अतिरिक्त जीएसटी की राशि वापस करने का आदेश दिया था।
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हालांकि जीएसटी अधिकारियों ने दावा किया है कि भारती एयरटेल ने जुलाई से सितंबर 2017 तक इनपुट टैक्स क्रेडिट कम प्रदर्शित किया था। वहीं, भारतीय एयरटेल का कहना है कि उसने अनुमानों के आधार पर इनपुट पर 923 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर का भुगतान किया था, क्योंकि जीएसटीआर -2 ए फॉर्म त्रुटि अवधि के दौरान चालू नहीं था।
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कंपनी का कहना है कि उसके पास अतिरिक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट था, लेकिन जुलाई 2017 में भारत में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के समय विनियामक और प्रौद्योगिकी से संबंधित अनिश्चितताओं के कारण अंतिम कर देयता के खिलाफ उसे समायोजित नहीं कर सका और जब बाद में कंपनी ने अतिरिक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता पर ध्यान दिया, तो पिछले टैक्स रिटर्न फाइलिंग को सुधारने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और टेलीकाम को उसके लाभ के दावों से रोक दिया गया।
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गौरतलब है दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश ने कंपनी को त्रुटि अवधि के लिए फॉर्म GSTR-3B को सुधारने की अनुमति दी थी। मई में दिए गए आदेश में कहा गया था कि कोर्ट उत्तरदाताओं (केंद्र सरकार) को यह भी निर्देश देती हैं कि वे जो फॉर्म जीएसटीआर -3 बी दाखिल करते हैं, उसके दो हफ्ते के भीतर दावे को सत्यापित करें और एक बार सत्यापित होने के बाद उसे प्रभावी कर दें।
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अब मामले पर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता बी कृष्णा प्रसाद द्वारा याचिका दायर की गई है जबकि प्रतिवादी वकील राहुल जैन द्वारा एक कैवियट याचिका दायर की गई है। यानी यह अब कोर्ट को विरोधी पक्ष को सूचित किए बिना कोई कार्रवाई करने से रोक देगा।
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दरअसल, भारती एयरटेल दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ समायोजित सकल राजस्व (AGR) की एक और कानूनी लड़ाई में फंसी हुई है और अगर GST रिफंड मामले में कंपनी के खिलाफ कोई फैसला आता है तो पहले से ही तनावग्रस्त कंपनी के वित्त पर एक और झटका लगा सकता है।
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उल्लेखनीय है दूरसंचार विभाग ने एयरटेल के लगभग, 37,000 करोड़ के बकाया का अनुमान लगाया था, लेकिन स्व-मूल्यांकन के बाद भारती एयरटेल ने कहा कि उसका सिर्फ 13,000 करोड़ रुपए का बकाया है। इस राशि के साथ एयरटेल ने दूर संचार विभाग के साथ सुलह की कवायद से उत्पन्न होने वाले मतभेदों को दूर करने के लिए तदर्थ भुगतान के रूप में अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपए भी जमा किए थे।
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