RBI का अनुमान- दूसरी तिमाही में 8.6 प्रतिशत कम होगी GDP, आर्थिक मंदी की आशंका
नई दिल्ली: कोरोना महामारी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान कर दिया था। अब अनलॉक की प्रक्रिया जारी है, लेकिन इसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। इस बीच आरबीआई ने एक और चिंताजनक खबर दी है। जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमही में जीडीपी पिछले साल की तुलना में 8.6 प्रतिशत घटने का अनुमान है। अगर ये अनुमान सही हुआ तो देश में पहली बार आर्थिक मंदी आएगी।
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31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अप्रैल-जून में जीडीपी में माइनस 23.9 प्रतिशत की अभूतपूर्व गिरावट की रिपोर्ट दी थी। अब जुलाई-सितंबर वाली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संकुचन यानी गिरावट का अनुमान 8.6 फीसदी है। अर्थशास्त्र में जब लगातार दो या उससे अधिक तिमाही में जीडीपी ग्रोथ माइनस में रहती है, तो उसे मंदी कहा जाता है। ऐसे में अगर 8.6 गिरावट का अनुमान सही हुआ तो देश में आर्थिक मंदी आ जाएगी। हालांकि अभी दूसरी तिमाही के आंकड़े नहीं आए हैं, ये महज एक अनुमान है।
आरबीआई की ओर से जारी रिपोर्ट अनुसंधानकर्ता पंकज कुमार ने तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक तकनीकी रूप से भारत वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में आर्थिक मंदी में चला गया है। अब धीरे-धीरे जब गतिविधियां सामान्य हो रही तो संकुचन दर कम हो रही है। ऐसे में ये भी अनुमान है कि हालात जल्द ही सुधर जाएंगे। वहीं मौजूदा वक्त में कोरोना के हालात तो सुधर रहे हैं, लेकिन अगर दुनिया में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर जोखिम फिर से बढ़ जाएगा, क्योंकि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक अर्थव्यवस्था का पूरा प्रभाव रहता है।
RBI के मुताबिक कोविड-19 महामारी और वैश्विक घटनाक्रमों के विपरीत भारत में स्वास्थ्य संकट की पुनरावृत्ति के बढ़ते संकेत हैं। इसने लोगों को विश्वास और साहस प्रदान किया है कि वे नियंत्रण से बाहर निकलें और आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हों। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क बेहतरीन बचाव के उपाय हैं। सितंबर के बाद से ही भारत में कोरोना के रोजाना केस कम हो रहे हैं। साथ ही वैक्सीन भी जल्द आने की उम्मीद है।