Forbes: अजीम प्रेमजी बने एशिया के सबसे उदार समाजसेवी, जानिए खास बातें
नई दिल्ली। मशहूर मैग्जीन 'फोर्ब्स' ने विप्रो के फाउंडर-चेयरमैन अजीम प्रेमजी को एशिया का सबसे उदार समाजसेवी घोषित किया है। प्रेमजी ने इस साल 760 करोड़ डॉलर की वैल्यू के विप्रो के शेयर दान किए। फोर्ब्स ने बुधवार को एशिया-पैसिफिक के 30 सबसे बड़े परोपकारियों की लिस्ट जारी की, जिसमें प्रेमजी के अलावा भारत के अतुल निसार और किरण मजूमदार शॉ भी शामिल हैं। बताते चलें कि अजीम प्रेमजी अब तक 2,100 करोड़ डॉलर की वैल्यू के शेयर समाज सेवा के कामों के लिए दे चुके हैं।
अजीम प्रेमजी बने एशिया के सबसे उदार समाजसेवी
आपको बता दें कि अजीम प्रेम जी केवल एक उद्योगपति नहीं बल्कि लोगों के लिए एक मिसाल है, वो अपने आप में एक संपूर्ण युग हैं। अजीम हाशिम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के एक गुजराती मुस्लिम परिवार में में हुआ था, उनके पिता को 'राईस किंग' कहा जाता था। विभाजन के बाद जब जिन्ना ने उनके पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी को पकिस्तान आने के लिये आमंत्रित किया तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि भारत ही मेरी पहचान है, मैं इसे छोड़ नहीं सकता हूं।
21 साल की उम्र में संभाली थी कंपनी की कमान
आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी ने 1945 में वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड की स्थापना की थी, जो आज विप्रो के नाम से जानी जाती है। मात्र 21 साल में अपने पिता को खो देने वाले अजीम प्रेम जी ने 1966 में कपंनी का कार्यभार संभाला था। अजीम उस वक्त स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे लेकिन पिता के अचानक निधन के बाद वो भारत आए और कंपनी की जिम्मेदारी ली।
अजीम हाशिम प्रेमजी दो बच्चों के पिता हैं...
प्रेमजी की पत्नी का नाम यास्मीन हैं, उन्हें दो बच्चे है, रिषद और तारिक, रिषद फिलहाल विप्रो के आईटी व्यापार के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन अब कंपनी की कमान संभालने जा रहे हैं।
वेजिटेबल उत्पाद बनाने वाली कंपनी थी WIPROW
विप्रो को पहले वेस्टर्न वेजिटेबल उत्पाद बनाने वाली कंपनी कहा जाता था लेकिन अजीम प्रेमजी ने बाद में इसे बदलकर बेकरी, टॉयलेट संबंधी उत्पाद, बालो संबंधी उत्पाद, बच्चो संबंधी उत्पाद बनाने वाली कंपनी में बदल डाला।
सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी में परिवर्तित कर दिया
1980 में, इस युवा उद्योगपति ने भारत में आईटी क्षेत्र की जरूरतों को समझा , उन्होंने भारत में आईटी क्षेत्र का विकास करने की ठानी और एक अमेरिकी कंपनी की सहायता से अपनी साबुन बनाने वाली कंपनी को सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी में परिवर्तित कर दिया।
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