Share Market: पांच मिनट में निवेशकों के 5 लाख करोड़ डूबे, कोरोना वायरस के अलावा ये हैं बाजार में गिरावट के बड़े कारण
नई दिल्ली। कमजोर वैश्विक बाजार का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ता दिख रहा है। आज भारतीय शेयर बाजार पांच महीने से सबसे निचले स्तर के साथ खुला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 1,125.83 अंक गिरकर 38,619.83 के स्तर पर खुला। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 355.70 अंक लुढ़ककर 11,277.60 के स्तर पर आ गया। बाजार गिरावट के साथ ही बंद हुआ है। सेंसेक्स 1,448.37 गिरकर 38,297.29 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 431.55 अंक गिरकर 11,201.75 पर बंद हुआ।
रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ
भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ है। 28 फरवरी को शुरुआती कारोबार में रुपया 38 पैसे कमजोर होकर 71.93 के स्तर पर खुला। जबकि बीते दिन रुपया 71.55 के स्तर पर बंद हुआ था। कंपनियों के शेयरों की बात करें तो उनकी हालत भी काफी खस्ता दिखाई दे रही है। मेटल, रियल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पब्लिक सेक्टर, कैपिटल गुड्स, ऑटो, बैंक, ऑयल एंड गैस के साथ ही आईटी शेयरों में भी कमजोरी दिख रही है। तो चलिए जानते हैं शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के पीछे के पांच बड़े कारण।
डाउ जोंस में भारी गिरावट, बाकी देशों का भी यही हाल
अमेरिकी शेयर बाजार डाउ जोंस में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक संकट के कारण रातों रात अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांक में भारी गिरावट आई है। ये जानकारी रॉयटर्स की रिपोर्ट में दी गई है। अमेरिकी शेयर बाजार डाउ जोंस करीब 1200 अंक गिरा, जो अमेरिकी बाजार के इतिहास में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है।
एशियाई बाजारों की बात करें तो जापान का शेयर बाजार निक्की ओलंपिक में आने वाली रुकावटों की संभावना के कारण 2.5 फीसदी गिरा। जापान में कोरोना के 890 मामले दर्ज किए गए हैं, इनमें 705 मामले क्रूज से जुड़े हैं। इससे जुलाई-अगस्त में होने वाले योजनाबद्ध ओलंपिक को लेकर परेशानी दिखाई दे रही है। ऑस्ट्रेलिया का शेयर बाजार बीते छह महीने के सबसे निचले स्तर पर 3 फीसदी गिरा है। दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार में 1.4 फीसदी की गिरावट आई है।
कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी
रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें को अमेरिका के कैलिफोर्निया में 8400 लोगों की निगरानी की जा रही है, जो हाल ही में कमर्शियल विमानों में यात्रा करके लौटे हैं और जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण पाए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से लेकर ईरान तक सरकार इस बीमारी से लड़ रही हैं। यहां स्कूलों को बंद कर दिया गया है, बड़े कार्यक्रम रद्द किए गए हैं और मेडिकल स्पलाई बढ़ाई गई है। ईरान में कोरोना ने 26 लोगों की जान ले ली। ये जानकारी यहां की सरकार ने 27 फरवरी को जारी की है। हालात इतने खराब हैं कि ईरान के उपराष्ट्रपति मसुमेह एब्तेकार भी इस वायरस से संक्रमित हो गए हैं।
कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए खतरनारक साबित हो रहा है। ये बीमारी चीन के बाद इटली और दक्षिण कोरिया को भी अपनी चपेट में ले रही है। दुनियाभर में कोरोना वायरस के कारण 2800 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। सबसे ज्यादा मौत चीन में हुई हैं। जबकि 83,000 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।
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कोरोना वायरस के कारण सप्लाई चेन प्रभावित, कमाई में गिरावट
प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस अब भी अस्पष्ट है। जिसके कारण सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति के मार्च में तेजी से घटने की संभावना है। वैश्विक और घरेलू कई कंपनियों ने कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण बिक्री में मंदी का संकेत दिया है। Apple और Microsoft दोनों ने वायरस के कारण कमाई पर आने वाले प्रभाव को लेकर चेतावनी दी है।
जीडीपी में आ रही कमी
दिसंबर तिमाही में भारत की जीडीपी साल-दर-साल 4.7 फीसदी की दर से बढ़ रही है। दिसंबर तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था थोड़ी बेहतर रही, इससे पहले वह कोरोना वायरस के कारण मुश्किल में दिखी थी। अर्थशास्त्रियों के रायटर पोल पूर्वानुमान ने दिसंबर तिमाही में वार्षिक आर्थिक विकास दर 4.7 फीसदी रखी थी। जो पिछली तिमाही के 4.5 फीसदी से अधिक है। इसकी बेहतरी के पीछे का कारण ग्रामीण मांग, निजी खपत और सरकारी खर्चों में छोटा सा बदलाव था। लेकिन फिर भी कोरोना वायरस के कारण आर्थिक मंदी बनी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पोल में सामने आया है कि यह 4.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।
जानकारी के लिए बता दें एक रिपोर्ट में पता चला है कि चीन का योगदान वैश्विक जीडीपी में 16 फीसदी है। इससे पहले जब वहां सार्स वायरस आया था, तब चीनी जीडीपी में 50 बीपीएस की गिरावट आई थी। अब वर्तमान में यूरोप और ईरान में जारी लॉकडाउन का भी असर जीडीपी पर पड़ेगा। तो इससे भी भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की पूरी संभावना है।
बाजार से दूर जाते निवेशक
बाजार में निवेशक म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से भी अपना पैसा लगाते हैं। बीते कुछ समय से म्यूचुअल कंपनियों में भी लोग घाटे के वजह से अपना पैसा कम ही लगा पा रहे हैं। ये वो निवेशक हैं जो कम जोखिम पर ज्यादा पैसा कमाने के लालच में इन कंपनियों की ओर आकर्षित हुए थे। लेकिन उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हुआ और वे बाजार से दूर चले गए। अधिकतर छोटे निवेशक बाजार में अपना पैसा लगाते हैं। कुछ निवेशक यह मानते हैं कि जब बाजार बढ़ता है तो उनकी स्क्रिप्ट पर उतना असर नहीं पड़ता जितना बाजार के गिरने पर पड़ता है। इस धारणा ने भी लोगों को बाजार से दूर कर दिया है।
कोरोना वायरस का शेयर बाजार पर कहर, 1100 से अधिक अंक लुढ़का सेंसेक्स, निफ्टी में भी गिरावट