लॉकडाउन में हुई छंटनी और सैलरी कटौती पर वित्त मंत्रालय की नजर, श्रम मंत्रालय को दिया डेटा जुटाने का निर्देश
लॉकडाउन में छंटनी और सैलरी कटने पर वित्त मंत्रालय की नजर, श्रम मंत्रालय को दिया डेटा जुटाने का निर्देश
नई दिल्ली। लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था हिली हुई है। आर्थिक गतिविधियां रूकने के कारण लोगों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कई लोगों की नौकरियां चली गई तो लाखों लोगों की सैलरी में कटौती की गई है। कंपनियों द्वारा नौकरी में छंटनी और सैलरी कटौती पर सरकार की नजर है। वित्त मंत्रालय इसे लेकर गंभीर है और इसपर नजरें बनाए हुए हैं। वित्त मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान गई नौकरियों और सैलरी कटौती का डेटा इकट्ठा करने का आदेश जारी किया है।
वित्त मंत्रालय की ओर से श्रम मंत्रालय को निर्देश दिए गए हैं लॉकडाउन के दौरान नौकरियों में की गई छंटनी और सैलरी कटौती से संबंधित डेटा को तैयार करें। वहीं वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एफपीआई के जरिए चीन को प्रतिबंधित करने पर कोई रोक नहीं है।
वित्त मंत्रालय ने बैंकों द्वारा लोन को लेकर भी जानकारी दी। वित्त मंत्रालय की नजर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लोन की मंजूरी और कर्ज के वितरण के बीच अंतर पर भी है। दरअसल वित्त मंत्रालय का मानना है कि सार्वजनिक बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋणों का वितरण नहीं हो रहा है। वित्त मंत्रालय इस अंतर को हल करने के उपायों पर काम कर रहा है।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन लगाया गया है। 23 मार्च से लॉकडाउन अब तक जारी है। लॉकडाउन के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी की हैष स्वीगी, जोमैटो, ओला, एयरलाइंस जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के एक अनुमान के मुताबिक देश में 12.2 करोड़ लोगों को पिछले महीने अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। वहीं वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1.2 करोड़ लोग गरीबी से बहुत ही गरीबी के दायरे में फिसल गए हैं । वहीं दुनियाभर में 4.9 करोड़ लोग बेहद गरीबी के दायरे में पहुंच गए हैं।