नौकरीपेशा लोग ध्यान दें: अगस्त में बदल जाएगा आपकी सैलरी से जुड़ा ये जरूरी नियम
नई दिल्ली। नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी खबर। अगस्त महीने से उनकी सैलरी में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान कंपनी और कर्मचारी दोनों के लिए घोषित राहत उपायों के तहत तीन महीनों मई, जून और जुलाई के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के योगदान में 4% की कटौती की घोषणा की थी। अब अगस्त से आपकी कंपनी पुरानी कटौती दरों पर वापस आ जाएगी। ईपीएफ योगदान (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के) को मई, जून और जुलाई के महीनों के लिए 24 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया था।
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अगस्त से 12 फीसदी की कटौती शुरू होगी
नियम के अनुसार, कर्मचारी और नियोक्ता 24% जमा करते हैं- 12% बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (डीए)- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा बनाए गए रिटायरमेंट फंड के लिए हर महीने ईपीएफ कटौती के रूप में होती है। वैधानिक कटौती कुल 4% (नियोक्ता के योगदान का 2% और कर्मचारी के योगदान का 2%) में कटौती की गई थी। इस महीने से ये कटौती समाप्त हो जाएगी। श्रम मंत्रालय के अनुसार, इस कदम का लक्ष्य 6.5 लाख प्रतिष्ठानों के 4.3 करोड़ कर्मचारियों / सदस्यों और नियोक्ताओं को लाभ पहुंचाना था।
कटौती से बढ़ गई थी सैलरी
बता दे कि, कुल 24 फीसदी अंशदान में से कर्मचारी का हिस्सा (यानी, 12 फीसदी) और नियोक्ता का 3.67 फीसदी हिस्सा ईपीएफ खाते में जाता है, जबकि शेष 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी के पेंशन स्कीम (ईपीएस) में बदल जाता है। महामारी की वजह से होने वाली वित्तीय परेशानियों के कारण नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों की मदद करने के लिए ईपीएफ योगदान की दर को कम किया गया था। इससे बेसिक और डीए के 4% के बराबर कटौती से सैलरी भी बढ़ गई।
अगले महीने से कटौती पुराने लेवल पर वापस आ जाएगी
सेंट्रल पबल्कि सेक्टर एंटरप्राइजेज और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ में नियोक्ता के योगदान में किसी तरह की कटौती नहीं की गई थी। उनका योगदान 12 फीसदी ही रखा गया था। जबकि कर्मचारियों ने 10 फीसदी ही का भुगतान किया था। अगले महीने से कटौती पुराने लेवल पर वापस आ जाएगी। कर्मचारियों की सैलरी में पहले जितनी ही कटौती होगी।
टैक्स के बारे में भी जानना जरूरी
आपको बता दें कि किसी एक वित्त वर्ष में आपकी बेसिक सैलरी के 12 प्रतिशत ईपीएफ योगदान तक पर टैक्स नहीं लगेगा। अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम में रहते हैं और आपका ईपीएफ योगदान कम है तो आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है। अगर आपके सामने गंभीर नकदी संकट नहीं है या आपकी सैलेरी में कटौती नहीं की गई है तो इस कम योगदान से होने वाली अतिरिक्त आय आपके लिए कुछ खास फायदेमंद नहीं होगी। जानकार आपको अपने ईपीएफ में 12 फीसदी योगदान करने की सलाह देते हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ईपीएफ योगदान 12 फीसदी से घटा कर 10 फीसदी करने से आप हाथ में सिर्फ 1-2 फीसदी अतिरिक्त पैसा आएगा
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