आर्थिक गतिविधियां कमजोर होने के स्पष्ट संकेत, मजबूती लाने का प्रयास : आरबीआई गवर्नर
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आर्थिक गतिविधियों के कमजोर होने के संकेत दिए। आरबीआई गवर्नर ने साफ किया कि केंद्रीय बैंक देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा। आरबीआई गवर्नर ने भरोसा दिलाया कि संकटग्रस्त एनबीएफसी सेक्टर पर निगरानी बनी रहेगी।
शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति में वित्तीय स्थिरता को प्रमुख घटक माना जाता है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2019 में नीतिगत दरों में की गई कटौती के बाद वृहद आर्थिक परिस्थितियां अधिक स्पष्ट हुईं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्थिक गतिविधियों की चाल धीमी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछली दो नीतिगत दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचने के बावजूद भी 2019- 20 में मुख्य मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत दायरे से नीचे रहने का ही अनुमान है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधि कमजोर हो रही है, वहीं खुदरा मुद्रास्फीति के 2019-20 में चार प्रतिशत से नीचे बने रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि निर्णायक मौद्रिक नीति अपनाने की जरूरत है। ऐसे में मेरा मत है कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए।
उन्होंने आरबीआई की पिछली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक में ब्याज दरों में कटौती के लिए तर्क देते हुए कहा था कि इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर हुईं हैं। जबकि नीतिगत ब्याज दर में पिछली दो कटौती का हस्तांतरण होने के बावजूद प्रमुख महंगाई दर 2019-20 में चार फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है।उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इसे सुधारने की हर संभव कोशिश कर रहा है।
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