एक और बैंक PMC की राह पर, फर्जी दस्तावेजों पर लोन देने का आरोप, CEO पर कसा शिकंजा
नई दिल्ली। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला सामने आने के बाद पहले से ही हंगामा मचा हुआ है। इस बैंक के खाताधारक अपने पैसों को लेकर परेशान हैं और अपनी मांगों को लेकर वे रोज प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, दिल्ली के सहकारी बैंक को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। दिल्ली सरकार के रजिस्ट्रार ऑफ कॉपरेटिव सोसाइटीज (आरसीएस) ने दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक के सीईओ के खिलाफ केस चलाने को मंजूरी दे दी है।
दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक का NPA 38 फीसदी
RCS ने बैंक ऑडिट टीम प्रमुख के कार्यकाल के दौरान कई तरह की अनियमितताओं का दोषी पाया है। आरोप है कि इसके कारण बैंक के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में तेजी से इजाफा हुआ है और बड़ा नुकसान हुआ। आरसीएस ने दिल्ली असेंबली के एक पैनल को जानकारी दी है कि बैंक का एनपीए बढ़कर 38 फीसदी जा पहुंचा है। जून 2019 की इस समयावधि में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का नेट एनपीए 3.07 फीसदी जबकि ग्रॉस एनपीए 7.53 फीसदी था।
सीईओ पर कसा शिकंजा
आरसीएस के वीरेंद्र कुमार ने 24 सितंबर सीईओ जितेंद्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मंजूरी दी थी। डीसीएस एक्ट 2003 के सेक्शन 121(2) के तहत ये कार्रवाई की गई। लेकिन गुप्ता इसके खिलाफ दिल्ली फाइनेंशियल कमिश्नर की अदालत में चले गए और कार्रवाई के खिलाफ स्टे ले लिया। इसके बाद आरसीएस ने इस स्टे ऑर्डर को चुनौती दी थी। दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में करीब 560 करोड़ रू जमा हैं। ग्रेटर कैलाश के विधायक सौरभ भारद्वाज की अगुवाई में हाउस पेटिशंस कमिटी की बैठक हुई, जिसमें पाया कि ये बैंक भी पीएमसी बैंक की राह पर है।
फर्जी कागजातों पर लोन देने का आरोप
इस बैंक के सीईओ गुप्ता ने 1984 में बतौर क्लर्क ज्वाइन किया था। भारद्वाज के मताबिक, उनके खिलाफ कई निगेटिव रिपोर्ट जारी के होने के बाद भी वे 2018 में बैंक के सीईओ बन गए। आरोप है कि फर्जी आईटीआर, प्रॉपर्टी के कागजात पर लोन जारी किए गए। बता दें कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में 4355 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने के बाद आरबीआई ने इसकी व्यापारिक गतिविधियों पर बंदिशें लगा दी थीं।