साइरस मिस्त्री का बड़ा बयान, बोले- टाटा समूह में किसी भी भूमिका के लिए कोई दिलचस्पी नहीं
नई दिल्ली। टाटा सन्स के चेयरमैन के पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री को एनसीएलएटी ने बड़ी राहत दी थी और उनको चेयरमैन के पद से हटाए जाने को अवैध करार दिया, साथ ही एनसीएलएटी ने उनको दोबारा चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के इस फैसले को अब टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले पर अब साइरस मिस्त्री ने रविवार को बड़ा बयान दिया है।
साइरस मिस्त्री कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे पक्ष में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश के बावजूद टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष या टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज या टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक की अध्यक्षता नहीं करूंगा। साइरस मिस्त्री ने आगे कहा कि एनसीएलएटी ने फैसले से संतुष्ट हूं जिसने काफी जांच और समीक्षा मुझे पद से हटाए जाने को गैरकारनूनी करार दिया। इससे टाटा और अन्य ट्रस्टियों के दमनकारी और पक्षपातपूर्ण आचरण का लोगों को पता चला है।
साइरस मिस्त्री ने आगे कहा कि हालांकि मैं अल्पसंख्यक शेयरधारक के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्पों का सख्ती से पालन करूंगा। बता दें कि 24 अक्टूबर 2016 को टाटा सन्स ने मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था। लेकिन एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को पद से हटाए जाने को अवैध करार देते हुए उन्हें फिर से बहाल करने का आदेश दिया था। साथ ही एनसीएलएटी ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के फैसले को भी अवैध करार दिया था। साइरस मिस्त्री पर आरोप लगा था कि वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।