कच्चे तेल के दाम बढ़ भी जाएं तो भी पेट्रोल-डीजल महंगा होने की टेंशन नहीं!
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी जारी है। इस बढ़ोतरी के चलते घरेलू शेयर और बॉन्ड बाजार में गिरावट दर्ज की गई। आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 3.5 फीसदी चढ़कर 64.2 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। आपको बता दें कि ये बढ़ोतरी साल 2015 के बाद की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इस बढ़ोतरी की असली वजह सऊदी अरब में आई राजनीतिक हलचल को माना जा रहा है। कच्चे तेल का आयातक देश होने की वजह से इस बढ़ोतरी का असर भारत पर भी पड़ेगा। लेकिन इस बढ़ोतरी से आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम यदि 55 से 65 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहते हैं तो ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा नहीं है। जानकारों की माने तो कच्चे तेल की कीमत जब तक यह उस दायरे में रहते हैं इनसे हमारी वृहद अर्थव्यवस्था को कोई गंभीर खतरा नहीं होना चाहिए।
कीमत बढ़ोतरी का असर
जानकारों
की
माने
तो
तेज
की
कीमत
अभी
70
डॉलर
प्रति
बैरक
तक
पहुंचेगा।
लेकिन
माना
जा
रहा
है
कि
बढ़ोतरी
के
बाद
कीमत
धड़ाम
होगी।
जानकारों
की
माने
तो
तेल
की
कीमत
50
डॉलर
तक
लुढ़केगा।लेकिन
फिलहाल
तेज
की
कीमत
में
बढ़ोतरी
का
असर
हर
सेक्चर
पर
हो
रहा
है।
एक्सिस
सिक्योरिटीज
के
प्रबंध
निदेशक
और
मुख्य
कार्यकारिणी
अरुण
ठुकराल
के
मुताबिक
कच्चे
तेल
की
कीमत
अगर
60
डॉलर
प्रति
बैरक
से
ऊपर
जाती
है
तो
इससे
चालू
खाता
घाटा
सकता
है,
जो
जीडीपी
वित्त
वर्ष
2017
में
0.7
फीसदी
था।
ठुकराल
के
मुताबिक
भारत
करीब
157.5
करोड़
बैरल
कच्चा
तेल
आयात
करता
है
और
अगर
इसकी
कीमत
में
1
डॉलर
प्रति
बैरक
की
भी
बढ़ोतरी
होती
है
तो
आयात
बिल
में
1.6
अरब
डॉलर
का
इजाफा
हो
जाता
है।
इस
बढ़ोतरी
से
प्रति
बैरक
आयात
बिल
में
1.33
अरब
डॉलर
की
बढ़ोतरी
होती
है।
घबराने की जरूरत नहीं
जानकारों की माते तो अगर कच्चे तेल की कीमत कीमतें 55 डॉलर प्रति बैरल से उपर जाती हैं तो उत्पादन बढे़गा। उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों को काबू रखेगा। भारत के लिए कच्चे तेल की कीमत में बढ़तोरी राहत भरी स्थिति है।जानकारों की माने कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी का असर खुदरा मुद्रास्फीति पर पड़ेगा। लेकिन ये प्रभाव अल्पावधि का होगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल का इंडेक्स में केवल 2.5 प्रतिशत का संयुक्त भार है। ऐसे में कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते समग्र मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मार्जिन पर असर
जानकारों की माने तो थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्लूपीआई) पर थोड़ा प्रभाव अधिक होगा क्योंकि इसका उच्च भार है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें आयात मूल्य को बढ़ाएगी। जिसका असर कंपनियों के मार्जिन पर पड़ेगा।