आर्थिक मोर्चे पर सरकार को एक और बड़ा झटका, विदेशी कर्ज बढ़कर हुआ 557.4 अरब डॉलर
मुंबई। आर्थिक मंदी से पहले की जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। जहां कल खबर आई थी कि, आठ कोर सेक्टर्स में इस अगस्त में भारी गिरावट देखने को मिली रही है, वहीं अब एक और बुरी खबर सामने आ रही है। देश का विदेशी कर्ज बढ़कर जून 2019 के अंत तक 557.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2019 को समाप्त तिमाही के बाद इसमें 14.1 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।
सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया और अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने से रुपए के मूल्यांकन में 1.7 अरब डॉलर का मूल्यह्रास हुआ है। मूल्यांकन प्रभाव को यदि अलग कर दिया जाये तो मार्च 2019 के बाद जून 2019 अंत तक कुल विदेशी कर्ज में वृद्धि 14.1 अरब डॉलर के बजाय 12.4 अरब डॉलर ही होती। आरबीआई के मुताबिक, विदेशी कर्ज में सबसे अधिक हिस्सा 38.4 फीसदी हिस्सेदारी कमर्शियल (कंपनियों) ऋण की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासियों के जमा की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत और लघु अवधि के व्यापार ऋण की हिस्सेदारी 18.7 प्रतिशत है। जून 2019 के अंत तक देश का दीर्घावधि विदेशी ऋण 447.7 अरब डॉलर रहा। यह मार्च 2019 के मुकाबले 12.8 अरब डॉलर अधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार के लिए अल्पकालिक ऋण का अनुपात जून 2019 के अंत में घटकर 25.5 प्रतिशत रहा, जबकि मार्च 2019 के अंत में यह 26.3 प्रतिशत था।
देश के विदेशी ऋण में डॉलर नामित ऋण की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। जून अंत तक इसकी हिस्सेदारी 51.5 प्रतिशत रही। इसके बाद रुपये में मिले विदेशी ऋण की हिस्सेदारी 34.7 प्रतिशत, येन की 5.1 प्रतिशत, विशेष आहरण अधिकार की 4.7 प्रतिशत और यूरो रिण कि भागीदारी 3.2 प्रतिशत रही।
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