कोरोना संकट में 12 फीसदी स्टार्टअप हो चुके बंद, 70 फीसदी की हालत खराब:सर्वे
नई दिल्ली। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने इंडियन एंजल नेटवर्क (आईएएन) के साथ एक सर्वे में पाया है कि लॉकडाउन और कोरोना से देश में स्टार्टअप पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। देश में बहुत बड़ा तादाद में स्टार्टअप इससे प्रभावित हैं। 12 फीसदी तो पूरी तरह बंद ही हो गए हैं। वहीं 70 फीसदी की हालत खराब है और कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
फिक्की और आईएएन ने 'भारतीय स्टार्टअप्स पर कोविड-19 के प्रभाव' विषय पर ये राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया है, जिसमें 250 स्टार्टअप को शामिल किया गया। सर्वे में कहा गया है कि कारोबारी माहौल में अनिश्चितता के चलते स्टार्टअप संघर्ष कर रहे हैं। 70 फीसदी स्टार्टअप चलाने वालों ने कहा कि उनके कारोबार को कोविड-19 ने प्रभावित किया है और लगभग 12 प्रतिशत ने अपना परिचालन बंद कर दिया है। सर्वे के मुताबिक, अगले तीन से छह महीनों में निर्धारित लागत खर्चों को पूरा करने के लिए केवल 22 प्रतिशत स्टार्टअप के पास ही पर्याप्त नकदी है और 68 प्रतिशत परिचालन और प्रशासनिक खर्चों को कम कर रहे हैं।
करीब 30 फीसदी कंपनियों ने कहा कि अगर लॉकडाउन को बहुत लंबा कर दिया गया तो वे कर्मचारियों की छंटनी करेंगे। इसके अलावा 43 प्रतिशत स्टार्टअप ने अप्रैल-जून में 20-40 प्रतिशत वेतन कटौती शुरू कर दी है। 33 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्टअप्स ने कहा कि निवेशकों ने निवेश के फैसले को रोक दिया है और 10 प्रतिशत ने कहा है कि डील खत्म हो गई हैं।
फिक्की के महासचिव दिलीप चिनॉय ने कहा है कि इस समय स्टार्टअप सेक्टर अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है. निवेश का सेंटीमेंट तो मंदा ही है और अगले महीनों में भी ऐसा ही रहने की आशंका है। वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो के अभाव में स्टार्टअप अगले 3 से 6 महीने में बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकते हैं। सर्वे में स्टार्टअप्स के लिए एक तत्काल राहत पैकेज की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सरकार से संभावित खरीद ऑर्डर, कर राहत, अनुदान, आसान कर्ज आदि शामिल हैं।
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