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यूरोप की चॉकलेट कंपनियों को ‘टेस्टी’ लगता भारतीय बाजार

By Vivek
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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)अब हिन्दुस्तानी जमकर चाकलेट पसंद करने लगे हैं। इसी के चलते यूरोप की कई चाकलेट बनाने वाली कंपनियों की भारतीय बाजार पर नजर है।

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देश में चाकलेट का बाजार करीब 3,000 करोड़ रुपए का है और यह क्षेत्र सालाना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसमें बहुराष्ट्रीय कैडबरी और नेस्ले की बड़ी हिस्सेदारी है।

विस्तार योजना

इसी क्रम में स्विट्जरलैंड की चॉकलेट बनाने वाली प्रमुख कंपनी बैरी कैलेबॉट अपनी विस्तार योजना के तहत भारत में इकाई स्थापित करने पर विचार कर रही है ताकि 3,000 करोड़ रुपये के घरेलू बाजार का फायदा उठाया जा सके।

बैरी कैलेबॉट का फिलहाल देश में सिर्फ वाणिज्यिक परिचालन है। कंपनी ने यहां कारोबार करने के लिए 2008 में अपना दफ्तर खोला था।

बैरी कैलेबॉट के उपाध्यक्ष (एशिया प्रशांत) डेनिस कन्वर्ट ने कहा कि 'हमारी विस्तार योजना के तहत हम निकट भविष्य में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं और हम इस योजना को आगे बढ़ा रहे है।'

फिलहाल 5.2 अरब डॉलर की स्विस चॉकलेट कंपनी की यूरोप, अफ्रीका, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका में 50 विनिर्माण इकाइयां हैं।

इस बीच, भारत में ग्राहकों को महंगे स्विस चाकलेट आने वाले समय में सस्ते मिल सकते हैं। सरकार यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ मुक्त व्यापार समझौता में स्विट्जरलैंड के चाकलेटल पर आयात शुल्क घटा सकती है।

ईएफटीए एक चार सदस्यीय संगठन है जिसमें स्विटजरलैंड के अलावा नार्वे, आइसलैंड और लिख्टेंस्टिन शामिल हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बातचीत में प्रगति जारी है। स्विटजरलैंड ने भारत
से महंगे चाकलेट पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से कम करने को कहा है। वाणिज्य मंत्रालय इस मामले पर गौर कर रहा है।'

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (ईएफटीए) मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और दोनों पक्षों के बीच 13-14 दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है।

ईएफटीए यूरोपीय संघ (ईयू) के समानातर काम करता है पर उसके साथ उसका सम्पर्क भी है। अधिकारी ने कहा, ‘शुल्क कम होने से भारतीय उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

आज जब कोई व्यक्ति विदेश से आता है तो वह अपने साथ हमेशा स्विस या बेल्जियम चाकलेट साथ लाता है।'

उसने कहा, ‘ऐसे में क्यों न उन्हें भारत में ही खरीदने का विकल्प दिया जाए। मुझे लगता है कि कम-से-कम चार महंगे स्विस चाकलेटों के मामले में शुल्क घटाने को लेकर घरेलू चाकलेट बनाने वाली कंपनियों को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।'

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English summary
Chocolate companies from Europe keen to invest in India. India has huge market of chocolate and growing.
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