पाकिस्तान से चीन ने पल्ला झाड़ा, बोला- हमने नहीं डाला कर्ज बोझ
इस्लामाबाद। चीन के विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान के दौरे पर हैं। शनिवार को इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वांग यी के सामने आखिरकार वही सवाल आ गया, जो इस समय न केवल कूटनीति के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ बल्कि इंटरनेट पर जमकर पूछा जा रहा है। वो सवाल है- क्या चीन के बिछाए कर्ज के जाल में पाकिस्तान फंस चुका है? वांग यी ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 1-2 फीसदी बढ़ी है। इसकी वजह से 70,000 नौकरियों के अवसर पैदा हुए हैं।
वांग यी ने कहा कि 22 सीपीईसी प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है, जिसमें से 9 पूरे हो चुके हैं और इससे 19 अरब डॉलर का निवेश आया है। चीन पर यह आरोपप इसलिए लग रहे हैं, क्योंकि इन दिनों पाकिस्तान गहरे कर्ज संकट में डूबा है। पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से अरबों डॉलर का कर्ज मांगा है, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो पहले ही आगाह कर चुके हैं कि अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष बेलआउट पैकेज से पाकिस्तान को कर्ज मिलता है तो उसका इस्तेमाल चीन का कर्ज चुकाने में नहीं होना चाहिए।
दरअसल, बात सिर्फ पाकिस्तान की ही नहीं, बल्कि चीन कई और छोटे देशों को कर्ज देकर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। चीन पर 'डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी' के आरोप काफी समय से लग रहे हैं। चीन का बेल्ट एंड रोड प्लान भी इसी नीति का हिस्सा है। चीन ने बेल्ट एंड रोड प्लान के तहत कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाया है। इनमें पाकिस्तान भी शामिल है।
पाकिस्तान
का
विदेशी
मुद्रा
भंडार
खाली
होता
जा
रहा
है।
इसके
पीछे
दो
अहम
कारण
माने
जा
रहे
हैं।
पहला-
विदेशों
में
नौकरी
कर
रहे
पाकिस्तानी,
जो
देश
में
पैसे
भेजते
थे
उसमें
गिरावट
आई
है।
इसके
अलावा
पाकिस्तान
का
आयात
बढ़ा
है।
इसकी
मुख्य
वजह
है
चाइना
पाकिस्तान
इकनॉमिक
कॉरिडोर
में
लगी
कंपनियों
को
बड़े
पैमाने
पर
भुगतान।
पाकिस्तान
का
व्यापार
घाटा
भी
बढ़ता
जा
रहा
है।
इसका
सीधा
मतलब
यह
हुआ
कि
आयात
लगातार
बढ़
रहा
है
और
निर्यात
घट
रहा
है।
पिछले
साल
पाकिस्तान
का
व्यापार
घाटा
33
अरब
डॉलर
था।
यही
नहीं,
2007
में
पाकिस्तान
में
इनकम
टैक्स
भरने
वालों
की
संख्या
21
लाख
थी,
जो
2017
तक
सिर्फ
12
लाख
रह
गई।
अब
तो
यह
आंकड़ा
और
भी
नीचे
जा
चुका
है।