Bank Privatisation: अब इन दो सरकारी बैंकों का निजीकरण, जानें क्या होगा बैंक खाताधारकों पर असर
Bank Privatisation: अब इन दो सरकारी बैंकों का निजीकरण,क्या होगा खाताधारकों पर असर
नई दिल्ली, जून 21। बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ा लिया गया है। दो और सरकारी बैंकों का निजीकरण करने का फैसला किया है, जिसके लिए बैंकों के नाम शॉर्टलिस्ट कर लिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण किया जाएगा। इन दोनों बैंकों में सरकार अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। हालांकि इस पर अभी आधिकारिक मुहर नहीं लगी है। सरकार की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
इन दो बैंकों का निजीकरण
बैंकों के विनिवेश के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में भी बदलाव करेगीआपको बता दें कि बजट के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी, जिसके बाद नीति आयोग ने विनिवेश के लिए इन दोनों बैंकों के नामों की सिफारिश की। नीति आयोग की सिफारिशों के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए केंद्र सरकार अगला कदम उठा सकती है।
क्या होगा बैंक कर्मचारियों और बैंक खाताधारकों का
बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार की ओर से कई बार आश्वासन दिया जा चुका है कि कर्मचारियों की नौकरी पर कोई संकट नहीं है। उनकी नौकरी सुरक्षित है। वहीं बैंक के ग्राहकों को भी इससे कोई परेशानी नहीं होगी। बैंकों के निजीकरण के बावजूद भी उन्हें पहले की ही तरह सेवाएं मिलती रहेंगी। ऐसे में बैंकों के निजीकरण से बैंक खाताधारकों या बैंक के कर्मचारियों को घबराने की जरूरत नहीं है। आपको बता दें कि सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि बैंकों और बीमा कंपनी के निजीकरण से वो 1.75 लाख करोड़ रुपए का निवेश हासिल करेगी, जिसके लिए पहल शुरू की जा चुकी है।
खबर आते ही उछला शेयर
मीडिया में बैंकों के निजीकरण की खबरों के आते ही दोनों बैंकों के शेयरों में भारी उछाल आ गया। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर सोमवार को 20% बढ़कर 24.30 रुपए पर पहुंच गया तो वहीं इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 19.80% की तेजी के साथ 23.60 रुपए पर कारोबार कर रहा है। आपको बता दें कि आधिकारिक घोषणा से पहले इन दोनों बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में सुधार करेगी । साथ ही कई बैंकिंग नियमों में भी सुधार करेगी।
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